पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस को लेकर दिए गए बयान पर कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा है कि संत शिरोमणि तुलसीदास रचित रामचरित मानस नहीं, मंत्री का बयान नफरती और जहरीला है. रामचरित मानस और उसके चरित्र नायक प्रभु श्रीराम सदियों से इस देश के करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र रहे हैं. मगर नफरती व जहरीला बयान देकर सामाजिक वातावरण को विषाक्त करने की कोशिश करने वाले मंत्री अविलम्ब इस्तीफा दें या मुख्यमंत्री उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें.
मानस मानवीय मूल्यों से भरपूर महाकाव्य
तारकिशोर प्रसाद ने गुरुवार शाम प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि रामचरित मानस विश्व साहित्य की उन कृतियों में से एक हैं, जो विभिन्न जातियों के लोगों को समीप लाती है, संहार और अमानुषिकता का विरोध करती है और सामाजिक विषमता को अस्वीकार करती है. मानस मानवीय मूल्यों से भरपूर महाकाव्य है जो मनुष्य को श्रेष्ठ प्राणी बनाये रखने के लिए प्रेरित करता है. ऐसे महान ग्रन्थ के बारे में मंत्री का घटिया बयान दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ा पहुंचाने वाला है.
मंत्री ने मानस के दोहे का मनमर्जी व्याख्या की
तारकिशोर ने कहा कि मंत्री ने मानस के एक-दो दोहे का मनमर्जी तरीके से उल्लेख और व्याख्या कर समाज को बांटने और नफरत फैलाने का जो कुत्सित प्रयास किया है, वह वोट और ध्रुवीकरण की घटिया राजनीति से प्रेरित है. मंत्री का ऐसा प्रयास घोर आपत्तिजनक और निन्दनीय है. मंत्री अपने इस बयान से करोड़ों लोगों की आस्था को आहत करने के लिए सार्वजनिक माफी मांगे और नैतिकता के आधार पर अविलम्ब अपना इस्तीफा दें.