Shadi Muhurat 2023 : 14 जनवरी के बाद से खरमास समाप्त होनेवाला है. खरमास समाप्त होते ही एक बार फिर से शहनाईयां गूंजने लगेंगी. विवाह में शुभ मुहूर्त जरूर ही देखा जाता है. पहले से तय हो चुके विवाह के लिए लोगों ने तैयारी शुरू भी कर दी है. घरों के रंग-रोगन से लेकर घर के लिए जरूरी काम निपटाए जा रहे हैं, क्योंकि ऐन वक्त पर घर की साज-सज्जा संभव नहीं हो सकती.
हां विवाह से संबंधित सामान, गहने- बरतन आदि की खरीदारी लोग मुहूर्त देखकर ही करते हैं. इसलिए खरमास समाप्त होते ही एकाएक बाजार में भीड़ उमड़नेवाली है. अभी तो बाजार में नये वर्ष और खरमास के कारण भीड़भाड़ नहीं है, लेकिन 14 जनवरी के बाद भीड़ देखने को मिलेगी. दूसरी बात यह है कि अब लोग विवाह आदि जैसे आयोजन होटलों या बैंक्वेट हॉल से करना ज्यादा पसंद करने लगे हैं. इसलिए शहर के ऐसे तमाम होटलों और बैंक्वेट हॉल जनवरी माह के लिए बुक हो गये हैं. अगले माह की भी तैयारी हो रही है.
Shadi Muhurat 2023 : 2023 में जनवरी 15 दिन और फिर होलाष्टक लगने से पूर्व तक शादी-विवाह का धूम-धड़ाका तो रहनेवाला ही है. इसके बाद अप्रैल के बाद से पुन: विवाह का माहौल शुरू हो जायेगा. जो जुलाई तक चलता रहेगा. पंचांग के अनुसार इस वर्ष कुल 64 शुभ मुहूर्त बताये जा रहे हैं. हालांकि इसमें मत सबके अलग-अलग हो सकते हैं. विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्त एक बार अवश्य ही दिखा लेना चाहिए.
2023 में विवाह के शुभ मुहूर्त
- जनवरी 2023- 15, 16, 18, 19, 25, 26, 27, 30, 31
- फरवरी 2023- 6, 7, 8, 9 10, 12, 13, 14, 15, 17, 22 23, 28
- मार्च 2023- 1, 5,6, 9,11, 13
- मई 2023- 6, 8, 9, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22, 27, 29, 30
- जून 2023- 1, 3, 5, 6, 7, 11, 12, 23, 24, 26, 27
- नवंबर 2023- 23, 24, 27, 28, 29
- दिसंबर 2023- 5, 6, 7 8, 9, 11, 15
साल 2023 में इन महीनों पर नहीं होगा विवाह
- अप्रैल 2023- इस मास में गुरु तारा अस्त हो रहा है, इसलिए इस पूरे माह से लेकर 5 मई तक विवाह नहीं होगा.
- जुलाई 2023- जुलाई मास में चातुर्मास शुरू हो रहा है. इस माह से अगले चार माह के लिए भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे.
- अगस्त 2023- इस माह में चातुर्मास के साथ-साथ शुक्र तारा अस्त रहेगा.
- सितंबर 2023- इस मास में चातुर्मास के साथ वर्जित सौर मास है. इसलिए मांगलिक कार्यों की मनाही है.
- अक्टूबर 2023- इस मास में भी वर्जित सौर मास है.
- नवंबर 2023- 22 नवंबर तक चातुर्मास तक होने के कारण शुरुआत में मांगलिक कार्य नहीं होंगे.