राँची : “दुर्गा स्वरुपनी आदि शक्ति श्री जीण माता जी का 13वाँ वार्षिकोत्सव स्थानीय मारवाड़ी भवन, हरमू रोड, राँची में दिनांक 07 एवं 08 जनवरी, 2023 को मनाया जायेगा. कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संस्था के अध्यक्ष ओम प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि 07 जनवरी, को दोपहर एक बजे विशाल शोभायात्रा 351 निशानों के साथ निकलेगी.
लक्ष्मी-नारायण मंदिर से शुरू होगी शोभायात्रा
लक्ष्मी-नारायण मंदिर से शुरू होकर वंशीधर अडुकिया लेन, बड़ालाल स्ट्रीट, जैन मंदिर, शहीद चौक, पुस्तक पथ, गाँधी चौक, बाबूलाल प्रेमकुमार, चुरुवाला गली, कार्ट सराय रोड, गाडीखाना चौक, हरमू रोड होते हुए मारवाड़ी भवन पहुंचेगी. निशान यात्रा में माता की अलौकिक झांकी के साथ राधा- कृष्ण की झांकी विशेष आकर्षण होगी.
विजय पालडीवाल सपत्निक ज्योत प्रज्ज्वलन के साथ करेंगे कार्यकर्म की शुरुआत
कार्यकर्म की शुरुआत 08 जनवरी को मुख्य यजमान विजय पालडीवाल सपत्निक प्रात: 10 बजे गणेश पूजन, माता का अभिषेक के साथ ज्योत प्रज्ज्वलन के साथ करेंगे. दोपहर एक बजे से 751 महिलाओं के द्वारा राजस्थानी पारंपरिक वेश- भूषा में सामूहिक मंगलपाठ किया जायेगा. मंगलपाठ का वाचन आनंद पारासर, जीण धाम पुजारी एवं अनुश्री शर्मा करेंगी.
माता चौसठ योगिनी की जीवंत झाकी मुख्य आकर्षण
इस कार्यकर्म का मुख्य आकर्षण माता चौसठ योगिनी की जीवंत झाकी होगी. कार्यक्रम के दौरान माता का जन्मोत्सव, मेहंदी महोत्सव, चुनडी महोत्सव, गजरा महोत्सव, छप्पनभोग एवं निशान महोत्सव मनाया जायेगा. इस कार्यक्रम में विशेष रूप से कुशल कारीगरों द्वारा 181 फीट की चुनडी का निर्माण किया जा रहा है जो आदि शक्ति श्री जीण माता जी को चढ़ाई जाएगी.इस कार्यक्रम का रात्रि 8 बजे महाआरती के साथ समापन होगा.
विभिन्न समितियों एवं उपसमितियों का गठन
महोत्सव को सफल बनाने के लिए विभिन्न समितियों एवं उपसमितियों का गठन किया गया है. निशानयात्रा एवं मंगलपाठ के लिए कूपन का वितरण मारवाड़ी भवन में किया जा रहा है. आज की बैठक में मुख्य संयोजक विजय पालड़ीवाल, सचिव दिलीप पटवारी, कोषाध्यक्ष सुभाष अग्रवाल, बजरंग सोमानी, प्रदीप सिंघानिया, अमित शर्मा, प्रदीप शर्मा, राजीव मित्तल, रमेश सोमानी, प्रदीप पटवारी इत्यादि मौजूद थे.
श्री जीण माता का संक्षिप्त परिचय
भारतवर्ष में समस्त देवी देवताओं की पावन धरती राजस्थान के सीकर जिला में गोरियां गाव में उच्चे पहाड़ों पर आदिशक्ति माँ भवरावाली जीण माता का एक सिद्ध धाम हैं. आदिकाल की माता जयंती ही कलयुग में जीण माता के नाम से घर- घर पूजी जा रही हैं. जीण माता का प्रसिद्ध धाम जयपुर सीकर रोड पर सीकर से 14 किलोमीटर की दूरी पर गोरियां नामक जगह से 15 किलोमीटर अन्दर पहाड़ी पर स्थित है.
जीण माता का प्रसिद्ध धाम ऋषियों की तपस्थली है
यह स्थान ऋषियों की तपस्थली है. इस मंदिर की प्राचीनता का यहाँ से शिलालेखों से अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रथम शिलालेख विक्रम संवत 985 भादव बदी अष्टमी का मंदिर शिखर के जीर्णोद्वार कराने का है. अन्य शिलालेख सम्वंत 1132 , 1196 , 1230 , 1382 , 1520 , 1535 आदि के हैं. इन सभी बातों से यही प्रमाणित होता है कि यह स्थान आदिकाल से मातेश्वरी का सिद्धपीठ रहा है.
जीण बाई ने माँ भगवती की घोर तपस्या की थी
आज से लगभग 1200 वर्षों पूर्व लोहागल के राजा गंगो सिंह जी चौहान व उनकी पत्नी रातादे (उर्वशी) नाम की अप्सरा की कन्या जीण बाई ने माँ भगवती आदि शक्ति की काजल शिखर पर घोर तपस्या की थी. तब आदि शक्ति ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें यह वर दिया था कि “आज से इस स्थान पर मेरी पूजा तुम्हारे नाम से होगी और जो भी मनुष्य इस स्थान पर आकर सच्चे मन से प्रार्थना करेगा उसे मनवांछित फल मिलेगा” तभी से आदि शक्ति माँ जीण भवानी कही जाने लगी.
अनगिनत चमत्कार देखे व महसूस किये जा सकते हैं
भक्तों के लिए यह स्थान कल्पवृक्ष के सामान है. यहाँ पर अनगिनत चमत्कार देखे व महसूस किये जाते हैं. यहाँ भक्तों द्वारा कि गयी हर प्रार्थना माँ पूर्ण कर उनका कल्याण करती हैं. यहाँ पर भक्ति, मुक्ति संतान, धन, ज्ञान सब कुछ मिलता है. भक्तो का विश्वास है कि महामाया आदि शक्ति “माँ जीण भवानी” यहाँ पर साक्षात् रूप में विराजमान हैं.