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हूल दिवस पर श्रद्धांजलि: झारखंड के नेताओं ने संथाल विद्रोह के सेनानियों को किया नमन

रांची: हूल दिवस के अवसर पर झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने संथाल विद्रोह के महान सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राज्यपाल गंगवार ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा,

‘‘‘हूल दिवस’ के अवसर पर संथाल विद्रोह के महान सेनानियों सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो सहित अन्य वीर-वीरांगनाओं को कोटिशः नमन। ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध उनका संघर्ष एवं गौरवगाथाएं भावी पीढ़ियों को अन्याय के विरुद्ध संघर्ष तथा मातृभूमि की सेवा के लिए सदैव प्रेरित करती रहेंगी।’’

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी संथाल विद्रोह के वीर सेनानियों को याद करते हुए लिखा,

‘‘हूल विद्रोह के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और अन्य वीर शहीदों तथा वीरांगनाओं के संघर्ष और शहादत को शत-शत नमन। आज़ादी की लड़ाई से पहले ही हमारे वीरों ने अंग्रेजी हुकूमत और महाजनों के शोषण के खिलाफ तथा जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए आदिवासी अस्मिता की मशाल जलाई थी।’’

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि,

‘‘अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू अमर रहें। झारखंड के वीर शहीद अमर रहें। जय झारखंड। हूल जोहार।’’

वहीं, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा,

‘‘संथाल परगना की पुण्यभूमि से 1855 में ब्रिटिश हुकूमत की शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध हूल विद्रोह का उद्घोष हुआ था। सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे महान जननायकों के नेतृत्व में संथाल समाज ने जल-जंगल-जमीन और अस्तित्व की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक चेतना का जागरण किया।’

उन्होंने आगे लिखा,

‘‘अंग्रेजी शासन की नींव को हिला देने वाले, देश में पहली बार स्वतंत्रता की क्रांति का शंखनाद करने वाले शहीदों को हूल दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि। उनका साहस, बलिदान और संघर्ष हम सबके लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।’’

हूल दिवस आदिवासी समुदाय के गौरव और संघर्ष की अमिट गाथा है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव को मजबूत किया।

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