रांची : राष्ट्रीय सनातन एकता मंच एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने स्वामी विवेकानंद जयंती एवं राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर कहा है कि स्वामी विवेकानंद मार्गदर्शक बन युवाओं को नयी राह दिखाई है तथा अपने विचारों से विश्व में सनातन को अलग पहचान दिलायी.
स्वामी जी की वाणी थी- मन को ढंके कुसंस्कार भगा दो
स्वामी जी की वाणी थी कि जगत की अनंत शक्ति तुम्हारे भीतर है, जो कुसंस्कार तुम्हारे मन को ढंके हुए हैं, उन्हें भगा दो, साहसी बनो, सत्य को जानो, चरम लक्ष्य भले ही दूर हो, पर उठो, जागो, जब तक ध्येय तक न पहुंचो, तब तक रुको मत, मनुष्य तभी तक मनुष्य कहा जा सकता है जब तक वह प्रकृति से ऊपर उठने के लिए संग्राम करता है और यह प्रकृति बाह्य और आंतरिक दोनों है.
न धन का कोई मूल्य है, न नाम का, न यश का
आध्यात्मिकता ही किसी जाति की शक्ति का प्रधान स्तोत्र है. जिस दिन से इसका ह्रास और भौतिकता का उत्थान होने लगता है, उसी दिन से ही उस राष्ट्र की मृत्यु प्रारम्भ हो जाती है. याद रखो, कि न धन का कोई मूल्य है, न नाम का, न यश का, न विद्या का- केवल चरित्र ही कठिनाइयों के दुर्भेद्द पत्थर की दीवारों में से गुजर सकता है.
शुभ कर्म, आध्यात्मिक अनुभूतियां हमारे साथी
हमारे अपने शुभ कर्म, हमारी अपनी आध्यात्मिक अनुभूतियां -यही हमारे ऐसे साथी हैं जो हमारी देह नाश के बाद भी हमारे साथ जाते हैं. और शेष सब कुछ तो देह के साथ यहीं पड़ा रहा जाता है. मनुष्यों को तीन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए- सत विचार, सत वाणी और सत्कर्म. यह व्यावहारिक, विवेक सम्मत धर्म है.