Ranchi

मुख्यमंत्री आवास घेरने निकली अनुबंधित नर्सों ने तोड़ी बैरिकेडिंग, पुलिस से झड़प

राँची

Ranchi : मोरहाबादी मैदान से मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए सोमवार को हजारों की संख्या में एनएचएम अनुबंधित नर्सें और पारा मेडिकलकर्मी निकले. राजभवन के पास पुलिस से उनकी झड़प हो गयी, लेकिन प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ गए.

‘सेवा स्थायीकरण’ की मांग

झारखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर सेवा दे रहीं एएनएम /जीएनएम नर्स और अनुबंधित पैरा मेडिकलकर्मी अपनी एक सूत्री मांग ‘सेवा स्थायीकरण’ के लिए मुख्यमंत्री आवास घेरने के लिए आक्रोश मार्च की शक्ल में मोरहाबादी मैदान से निकले.

Ranchi : नर्सें अलग-अलग समूह में मुख्यमंत्री आवास के लिए आगे बढीं

उपाधीक्षक और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की उपस्थिति में हाथ में अपनी मांग के बैनर और तख्ती लिए आंदोलित नर्सें अलग-अलग समूह में कांके स्थित मुख्यमंत्री आवास के लिए आगे बढीं. अपने आंदोलन को और धार देते हुए नर्सों ने खुद को दो जत्थे में बांट लिया. एक ग्रुप को राजभवन के पास गेट नंबर 1 पर पुलिस ने रोक लिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का दूसरा जत्था सीएम हाउस के करीब पहुंच गया, जहां पर सुरक्षाकर्मियों ने उनको रोका.

Ranchi : राजभवन पर रोके जाने से पुलिस से झड़प

राजभवन पर रोके जाने से आक्रोशित नर्सों की पुलिस से झड़प हुई, लेकिन प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग तोड़ कर आगे निकल गए. आंदोलनरत अनुबंधित नर्सों का कहना है कि अब निर्णायक आंदोलन होगा. मंगलवार को राजभवन के पास अनिश्चितकालीन धरना, हड़ताल और 24 जनवरी से आमरण अनशन करेंगे.

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर खासा असर

इधर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़ी नर्स और पैरा मेडिकलकर्मियों के आंदोलन की वजह से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर खासा असर पड़ रहा है. खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने गयी है. टीकाकरण सहित कई राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम पर भी इसका असर पड़ा है.

Ranchi : नर्सें 2015 से ही आंदोलन करती आ रही हैं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 2015-17 वर्ष से भी अधिक समय से अनुबंध पर सेवा दे रहीं नर्सें वर्ष 2015 से ही सेवा स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलन करता आ रही हैं. हर बार विभाग और सरकार से आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन स्थगित होता रहा. नर्सों और पैरा मेडिकलकर्मियों का आरोप है कि 2019 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि तीन महीने में उनकी सेवा नियमित होगी, लेकिन तीन साल बाद भी उनकी मांग पर सरकार कुछ नहीं कर रही है.

पिछले दिनों आंदोलन करने पर नियमितीकरण के नाम पर एक कमिटी बना दी गयी, लेकिन उस कमिटी की एक भी बैठक कभी नहीं हुई है. इसलिए निराश होकर चरणबद्ध और निर्णायक आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया है.

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