Supreme court : नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने 4-1 के बहुमत से खारिज कर दिया. चार जजों ने नोटबंदी के फैसले को सही और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने गलत ठहराया. 07 दिसंबर को कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. नोटबंदी की प्रक्रिया को सही ठहराने वाले जजों में जस्टिस एस अब्दुल नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम शामिल हैं.
चार जजों ने कहा- यह कार्यपालिका की आर्थिक नीति, नहीं पलटा सकता
नोटबंदी पर चार जजों ने अपने फैसले में कहा कि यह कार्यपालिका की आर्थिक नीति थी जिसे पलटा नहीं जा सकता. नोटबंदी का फैसला लेने की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी. इसलिए उस नोटिफिकेशन को रद्द नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के बहुमत के फैसले में कहा है कि पुराने नोट बदलने के लिए 52 हफ्ते का पर्याप्त समय दिया गया, जिसे अब बढ़ाया नहीं जा सकता. कोर्ट ने कहा कि 1978 में नोटबंदी के लिए तीन दिन का समय दिया गया था, जिसे पांच दिनों के लिए और बढ़ाया गया था.
Supreme court : जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कहा- नोटबंदी विधेयक के जरिये होना चाहिए था
नोटबंदी पर जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि केन्द्र सरकार के कहने पर सभी सीरीज के नोट को प्रचलन से बाहर कर दिया जाना काफी गंभीर विषय है. नोटबंदी का फैसला केन्द्र सरकार की अधिसूचना के जरिए न होकर विधेयक के जरिए होना चाहिए था. ऐसे महत्वपूर्ण फैसलों को संसद के सामने रखना चाहिए था.
रिकॉर्ड से साफ- रिजर्व बैंक ने स्वायत्त रूप से कोई फैसला नहीं लिया
जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए रिकॉर्ड से ये साफ होता है कि रिजर्व बैंक द्वारा स्वायत्त रूप से कोई फैसला नहीं लिया गया. सबकुछ केन्द्र सरकार की इच्छा के मुताबिक हुआ. नोटबंदी करने का फैसला सिर्फ 24 घंटे में ले लिया गया.
किसी भी करेंसी के सभी सीरीज को बैन नहीं किया जा सकता
केन्द्र सरकार के प्रस्ताव पर रिजर्व बैंक द्वारा दी गयी सलाह को कानून के मुताबिक दी गयी सिफारिश नहीं मानी जा सकती. कानून में आरबीआई को दी गई शक्तियों के मुताबिक किसी भी करेंसी के सभी सीरीज को बैन नहीं किया जा सकता, क्योंकि सेक्शन 26(2)के तहत किसी भी सीरीज का मतलब सभी सीरीज नहीं है. केन्द्र सरकार का 08 नवंबर का नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था.
चिदंबरम ने कहा था- सरकार ने पुराने और नये नोटों के बारे में कुछ नहीं सोचा
इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा था कि नोटबंदी के नतीजों के बारे में न तो आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड को पता था और न ही केंद्रीय कैबिनेट को कोई जानकारी थी. चिदंबरम ने कहा था कि सरकार ने ये फैसला लेने से पहले पुराने और नये नोटों के बारे में कुछ नहीं सोचा.
नोटबंदी की प्रक्रिया कानूनी तौर पर उल्लंघन है
कोई आंकड़ा नहीं जुटाया गया. उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या नोटबंदी का फैसला 24 घंटे के अंदर लिया जा सकता है. चिदंबरम ने कहा था कि नोटबंदी के बाद ज्यादातर नोट वापस आ गए. नोटबंदी के लिए जो प्रक्रिया अपनायी गयी वह कानूनी तौर पर उल्लंघन है.
अटार्नी जनरल ने कहा था- नोटबंदी से अप्रवासी भारतीयों का अपमान हुआ कहना बेबुनियाद
केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि 2016 के पहले भी देश में दो बार नोटबंदी की गयी. पहली नोटबंदी 1946 में और दूसरी नोटबंदी 1978 में हुई थी. नोटिफिकेशन की धारा 4 के मुताबिक ग्रेस पीरियड दिया जा सकता है. अटार्नी जनरल ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं का ये कहना बेबुनियाद है कि नोटबंदी से अप्रवासी भारतीयों का अपमान हुआ. नोटबंदी का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस पर संसद ने चर्चा की. संसद ने पूरी चर्चा कर इसे मंजूरी भी दी.