प्रतिकात्मक तस्वीर
बिहार के गोपालगंज से एक ऐसी खबर सामने आ रही है जो चौंकाने वाली है. दरअसल, पश्चिम बंगाल में बैठकर स्वास्थ्य कर्मी मनीष जुलियस 11 वर्षों से वेतन उठाता रहा. कभी ड्यूटी पर नहीं आया. यह सब प्रभारी डॉक्टर, प्रधान सहायक व एएनएम से हुआ. मनीष जुलियस की सदर ब्लॉक के मानिकपुर स्वास्थ्य उपकेंद्र में परिचारी पद पर तैनाती हुई थी. इस खबर को दैनिक अखबार प्रभात खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है.
मामला जब सामने आया तो डीएम डॉ नवल किशोर कुमार चौधरी ने तत्काल सिविल सर्जन को केस दर्ज कराने का आदेश दिया. सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने सदर प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को 28 फरवरी से आदेश दिया कि मनीष जुलियस, एएनएम ज्ञानमाला कुमारी, क्लर्क राकेश कुमार, पूर्व चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार सिंह व डॉ मुकेश कुमार सिंह पर तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी दर्ज करायी जाये.
एक वर्ष पहले हुआ खुलासा तो विभाग ने मामले को दबाया
विभाग में इसका खुलासा एक साल पहले सामने आया. स्वास्थ्य विभाग ने इसे दबाने की कोशिश की. अप्रैल 2022 में स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई के नाम पर मनीष जुलियस को सस्पेंड कर दिया. जबकि एएनएम ज्ञानमाला को निलंबित कर दिया गया. जबकि तब प्रभारी रहे डॉ मुकेश कुमार सिंह को पद से हटा दिया गया. क्लर्क राकेश कुमार को हथुआ एएनएम कॉलेज में तबादला कर दिया गया.
विभाग को 2018 से मिला गायब रहने का साक्ष्य
मनीष सदर ब्लॉक में पोस्टिंग के साथ ही वर्ष 2010 से ही गायब था. उस समय से ही वेतन की निकासी होती रही. चार प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आरके सिंह सुधाकर, डॉ शक्तिसिंह, हरेंद्र सिंह व डॉ मुकेश सिंह भी शामिल थे. जबकि सिविल सर्जन ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य वर्ष 2018 से उपस्थिति बनाकर निकासी का मिला है. डीएम ने कहा कि वेतन की राशि की रिकवरी के साथ कार्रवाई का आदेश दिया गया है.