रांची : राँची के सुप्रसिद्ध हृदय एवं मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ वीके जगनाणी ने वाराणसी में सम्पन्न हुए कार्डायबकान विषय पर व्याख्यान में बताया कि ट्राईग्लिसेराइड्स तथा एलडीएल के रक्त में मात्रा बढ़ने से हृदयाघात एवं पक्षाघात की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है.
पाश्चात्य भोजन एवं जीवनशैली में सक्रियता की कमी
इनके बढ़ने का मुख्य कारण पाश्चात्य भोजन एवं जीवनशैली में सक्रियता की कमी माना जाता है. हृदयाघात एवं पक्षाघात के मुख्य कारक आथेरोस्क्लेरोसिस को माना जाता है. डिस्लिपीडिमिया के इतर नेटोसिस भी इन रोगों का नूतन कारक उभर कर सामने आया है.
धमनियों में बने नेट्स आथेरोस्क्लेरोसिस को गतिशील करते हैं
शोध से पता चल रहा है कि धमनियों में अनियन्त्रित इन्फलामेशन के कारण नेट्स बनने लगते हैं जो हानिकारक प्रभाव डाल कर आथेरोस्क्लेरोसिस को गतिशील कर देते हैं. इसके दुष्प्रभाव से प्लाक बनने लगते हैं. नेटोसिस के कारण प्लाक रप्चर होकर जानलेवा हृदयाघात हो सकता है. जब यही प्लाक रप्चर मष्तिष्क में होता है तो स्ट्रोक के कारण पक्षाघात हो सकता है.
अनियन्त्रित नेटोसिस को रोक सकें तो बच सकते हैं
शोध में यह पाया गया है कि अगर अनियन्त्रित नेटोसिस को किसी चरण में रोक सकें तो आथेरोस्क्लेरोसिस, प्लाक, हृदयाघात एवं पक्षाघात से बच सकते हैं. परन्तु, लाइफस्टाइल माडिफिकेशन, नियन्त्रित रक्तचाप, रक्त शर्करा, कालेस्ट्राल, स्वास्थ्य वर्धक भोजन, नियमित व्यायाम, औषधि, जाँच, चिकित्सीय परामर्श के साथ आवश्यक है.