रांची : राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है. इस राज्य में धरती आबा बिरसा मुण्डा, बीर बुधु भगत, सिद्धो- कान्हु, चांद- भैरव, फूलो- झान्हो, जतरा भगत, दिवा किशुन, सहित अनेक महान विभूति हुए हैं. उन्होंने देश एवं समाज के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. इनका जन्म जनजाति कुल में ही हुआ. उन्होंने इन महान सपूतों के साथ अन्य सभी विभूतियों को भी नमन किया.
आदिवासी दिवस मनाने का उद्देश्य अनूठी जीवनशैली से अवगत कराना
राज्यपाल मंगलवार को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रांची विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य ही उनकी अनूठी जीवनशैली और इस भूमि से उनके प्रगाढ़ संबंध से भावी पीढ़ियों को अवगत कराना है. इतिहास में उनके द्वारा विभिन्न अधिकारों और मातृभूमि के लिए किए गए संघर्ष एवं त्याग अविस्मरणीय है.
देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जनजातियों का
उन्होंने कहा कि देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जनजातियों का है. सभी जानते हैं कि अति प्राचीन काल से ही आदिवासी समुदाय भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं. इस समुदाय का इतिहास काफी समृद्ध रहा है. विश्व स्तर पर इसकी अमिट पहचान रही है. राज्यपाल ने कहा कि जनजातियों की कला, संस्कृति, लोक सहित्य, परंपरा एवं रीति-रिवाज़ समृद्ध रही है. जनजातीय गीत एवं नृत्य बहुत मनमोहक है. उनके गायन और नृत्य उनके समुदाय तक ही सीमित नहीं हैं.
जनजाति समाज प्रकृति प्रेमी
उन्होंने कहा कि जनजाति समाज प्रकृति प्रेमी होते हैं. इसकी झलक इनके पर्व- त्योहारों में भी दिखती है. ग्लोबल वार्मिंग के दौर में प्रकृति की रक्षा करना प्रत्येक मानव का कार्य है. सम्पूर्ण विश्व को इन सभ्यताओं से सीख लेते हुए प्रकृति की रक्षा के लिए आगे आने की जरूरत है.