जहां एक ओर टमाटर की कीमत लोगों को परेशान कर रही है. वहीं दूसरी ओर तंग आपूर्ति के कारण प्याज की कीमत में बढ़ोतरी की आशंका जतायी जा रही है. इस माह के अंत में खुदरा बाजार में बढ़ने की आशंका है और अगले महीने यह लगभग 60-70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है. हालांकि, अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है. एक रिपोर्ट के हवाले से मीडिया में यह खबर चल रही है.
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट के हवाले से मीडिया में खबर चल रही है कि मांग-आपूर्ति में असंतुलन का असर अगस्त के अंत में प्याज की कीमतों पर दिखने की आशंका है. जमीनी स्तर पर बातचीत से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार खुदरा बाजार में सितंबर की शुरुआत से कीमतों में अच्छी-खासी वृद्धि होने की आशंका है और यह 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है. हालांकि, कीमत 2020 के उच्चतम स्तर से नीचे रहेगी.
प्याज की खपत में बढ़ोतरी होगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी प्याज के भंडारण और उपयोग की अवधि एक-दो महीने कम होने और इस साल फरवरी-मार्च में घबराहट के कारण बिकवाली से, खुले बाजार में रबी स्टॉक में सितंबर के बजाय अगस्त के अंत तक काफी गिरावट आने की आशंका है. इससे प्याज की खपत में बढ़ोतरी होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है. त्योहारी महीनों (अक्टूबर-दिसंबर) में कीमतों में उतार-चढ़ाव दूर होने की उम्मीद है.
जनवरी-मई के दौरान प्याज की कीमतों में गिरावट
आपको बता दें कि इस साल जनवरी-मई के दौरान प्याज की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली. हालांकि, इससे प्याज किसान खरीफ मौसम में बुवाई के लिये हतोत्साहित हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसको देखते हुए, हमारा मानना है कि इस साल रकबा आठ प्रतिशत घटेगा और प्याज का खरीफ उत्पादन सालाना आधार पर पांच प्रतिशत कम होगा. वार्षिक उत्पादन 2.9 करोड़ टन होने की उम्मीद है. यह पिछले पांच साल (2018-22) के औसत उत्पादन से सात प्रतिशत ज्यादा है.