एक-दूसरे से क्षमा मांगकर मनाया क्षमावाणी पर्व
जैन समाज ने दशलक्षण पर्व का किया समापन, आत्म-शुद्धि और मानसिक शांति पर दिया जोर
रांची : जैन धर्म के दस दिवसीय दशलक्षण पर्व का सोमवार (08 सितम्बर) को क्षमावाणी पर्व के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर जैन समाज के लोगों ने एक-दूसरे से पूरे वर्ष जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना की।
क्षमावाणी का मुख्य उद्देश्य अहंकार, द्वेष और गलतियों को पहचानकर उनसे मुक्ति पाना है। इसे आत्म-शुद्धि और मानसिक शांति का अनूठा अवसर माना जाता है।
मंदिर में हुआ विशेष पूजन
श्री दिगंबर जैन मंदिर, अपर बाजार में विशेष पूजा-अर्चना और क्षमावाणी पर्व के आयोजन हुए। श्रीजी का प्रथम अभिषेक और शांतिधारा का सौभाग्य राजेंद्र कुमार संजय कुमार बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ। पूजन के बाद सभी श्रावकों ने एक-दूसरे से क्षमा मांगकर पर्व मनाया।
व्रतधारियों का सम्मान
इस अवसर पर रत्नत्रय एवं सोलहकारण व्रतधारियों का सम्मान किया गया। इनमें 17 लोगों ने रत्नत्रय व्रत और 3 लोगों ने सोलहकारण व्रत धारण किया। वहीं, दस दिनों तक धर्म प्रभावना कर रहे विद्वान अंकित जी शास्त्री का समाज की ओर से अभिनंदन किया गया।
पदाधिकारी रहे मौजूद
कार्यक्रम में प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रदीप बाकलीवाल, उपाध्यक्ष संजय छाबड़ा, मंत्री जीतेन्द्र छाबड़ा, सह मंत्री मनोज काला, कोषाध्यक्ष प्रमोद झांझरी, पूरणमल सेठी, छीत्तरमल गंगवाल, उम्मेदमल काला, कैलाशचंद बड़जात्या, कमल विनायक्या, अजीत काला, चेतन पाटनी, विनीता सेठी और मोनिका ठोल्या सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
मीडिया प्रभारी राकेश काशलीवाल ने बताया कि क्षमावाणी पर्व न केवल आत्मशुद्धि का अवसर है, बल्कि समाज में आपसी भाईचारे और प्रेम का संदेश भी देता है।
