छठ महापर्व का खरना आज, व्रती प्रसाद ग्रहण कर करेंगे तन-मन को शुद्ध

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Ranchi : लोक आस्था का महापर्व चैत्री छठ 1 अप्रैल को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है. इसके अगले दिन यानी आज खरना है, जिसे लोहंडा भी कहा जाता है. यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर हुआ. जबकि सूर्यास्त शाम को 06 बजकर 38 मिनट पर होगा.

व्रती तन और मन का करते हैं शुद्धिकरण

छठ महापर्व में खरना का खास महत्व है. इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखकर खरना का प्रसाद बनाते हैं. फिर शाम में पूजा के पश्चात प्रसाद (खीर) ग्रहण करती हैं. इसके बाद बाद उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है. खरना में व्रती तन और मन का शुद्धिकरण करते हैं.

खरना के दिन बनता है खीर

खरना के दिन गुड़ और चावल से शुद्ध तरीके से खीर बनायी जाती है. खरना पूजा में खीर के अलावा अलग-अलग क्षेत्र की परंपरा के मुताबिक,  केला व अन्य चीजें भी रखी जाती हैं. इसके अलावा प्रसाद में रोटी, पूरी, गुड़ की पूरियां और मिठाइयां भी भगवान को अर्पित की जाती है.

नये मिट्टी के चूल्हे व आम की लकड़ी में बनता है प्रसाद

खरना का प्रसाद नये मिट्टी के चूल्हे पर बनता है. लेकिन बदलते जमाने के साथ अब खीर बनाने के लिए गैस-चूल्हा का भी इस्तेमाल होने लगा है. खरना का प्रसाद बनाने में सिर्फ आम की लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है.

खरना का प्रसाद ग्रहण करने के नियम

खरना के दिन जब व्रती शाम में पूजा और प्रसाद ग्रहण करते हैं, तो उस समय घर में पूरी शांति रखी जाती है. ऐसा माना जाता है कि आवाज होने पर व्रती प्रसाद खाना बंद कर देते हैं. इस दिन घर के सभी सदस्य व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही उनसे प्रसाद लेते हैं.

छठ महापर्व चार दिनों का त्योहार

छठ का पर्व चार दिनों का होता है. यह पर्व नहायखाय से शुरू होता है. दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह अर्घ्य देकर पारण किया जाता है. पहला अर्घ्य इस साल 3 अप्रैल को है. इस दिन इस दिन सूर्यास्त शाम 06 बजकर 05 मिनट पर होगा. 4 अप्रैल को उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जायेगा. इस दिन सूर्योदय 05 बजकर 38 मिनट पर होगा. इसके बाद पारण करके चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन होगा.

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