रामगढ़ अनुमंडल कार्यालय के बाहर घंटों इंतजार के बाद भी नहीं पहुंचे प्रस्तावक
रामगढ़ : अंतर्राज्यीय गैंगस्टर अमन साहू का बड़कागांव विधानसभा से चुनाव लड़ने का सपना चकनाचूर हो गया. नामांकन की आखिरी तारीख तक अमन साहू ने तकनीकी अड़चन दूर करने के लिए काफी प्रयास किया. लेकिन अंततः प्रस्तावक जुटाने में विफल रहा. उसे पर्याप्त प्रस्तावक नहीं मिले, जिसकी वजह से उसका नामांकन दाखिल नहीं हो सका. रामगढ़ अनुमंडल कार्यालय के बाहर अमन साहू की मां किरण देवी, पिता निरंजन साहू और परिवार के अन्य सदस्य शुक्रवार की दोपहर घंटों इंतजार करते रहे. वकील भी लगातार प्रस्तावक को जुटाने में लग रहे. लेकिन प्रस्तावों की लिस्ट पूरी नहीं हो पाई.
अमन साहू के अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने बताया कि नामांकन के लिए माता-पिता खुद प्रस्तावक बने थे. इसके अलावा कुल 10 प्रस्तावकों को हस्ताक्षर करने के लिए बुलाया गया था. निर्धारित समय 3:00 बजे से पहले तक आठ प्रस्तावक नामांकन स्थल तक पहुंचे थे. दो प्रस्तावकों की कमी की वजह से उन्हें मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया. जब तक प्रस्तावक पूरे होते तब तक निर्धारित समय समाप्त हो चुका था. जिसकी वजह से नामांकन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई.
अटकलों पर लगा विराम, प्रशासन ने ली राहत की सांस
जब से गैंगस्टर अमन साहू ने बड़कागांव विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, तब से ही रामगढ़ और हजारीबाग जिला प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगे थे. अमन साहू ने सजा पर स्टे कराने और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से परमिशन लेने के लिए दिन-रात एक कर दिया था. उनके अधिवक्ता दोनों राज्यों के हाई कोर्ट में लगातार पिटीशन फाइल कर रहे थे. साथ ही लातेहार व्यवहार न्यायालय में भी पिटीशन फाइल किया गया था. हर जगह मैराथन दौड़ चल रही थी. 48 घंटे में नामांकन पत्र रामगढ़ से खरीद कर रायपुर ले जाया गया और वहां से बाकायदा भरकर रामगढ़ तक ले आया गया था.
पिटीशन पर बहस कराने के लिए समय भी आनन फानन में लिया जा रहा था. जिस तरह अमन साहू के अधिवक्ता अपना काम कर रहे थे, उससे जिला प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक विचार करने को विवश हो गया था. हालांकि रामगढ़ डीसी चंदन कुमार ने चुनावी प्रक्रिया को सामान्य तौर पर लेने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि देश का हर नागरिक चुनाव लड़ने के लिए अधिकृत है. अगर सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी होती है और कोई बाधा नहीं रहती है तो हर व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, चाहे वह जेल में ही बंद क्यों ना हो.