बोकारो : भारत एकता कोऑपरेटिव निवासी 7वीं कक्षा का छात्र प्रिंस आर्यन एक ऐसा मूर्तिकार है, जिसकी बनाई मूर्तियां ऐसी हैं कि लगता है अभी बोल उठेंगी. इन मूर्तियों को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. इस छात्र को भगवान ने हुनर का नायाब तोहफा दिया है. मिट्टी, वॉल पुट्टी और घर में बेकार पड़े सामानों से मूर्तिकला में इसे महारत हासिल है.
आर्यन ने महज पांच साल की उम्र से यू-ट्यूब देखकर कला के क्षेत्र में महारत हासिल कर ली
आम तौर पर सोशल मीडिया को लोग मनोरंजन का साधन मानते हैं लेकिन आर्यन ने महज पांच साल की उम्र से यू-ट्यूब देखकर आर्ट यानी कला के क्षेत्र में महारत हासिल कर ली. उसके परिजनों को घर में होने वाले त्योहारों के लिए मूर्तियां बाजार से खरीदकर नहीं लानी पड़त, बल्कि डीएवी-4 का 7वीं कक्षा का ये छात्र स्वयं ही बनाता है.
मूर्ति के लिए आंगन की मिट्टी और दर्जी की दुकान के कतरन का करता है उपयोग
प्रिंस मूर्ति बनाने के लिए अपने आंगन की मिट्टी का उपयोग करता है. मिट्टी को पानी में डालकर उसे लिक्विड फार्म में कर लेता है. उसके बाद उसे छननी से छानकर कंकड़ व पत्थर अलग कर लेता है. फिर मिट्टी को धूप में मुलायम होने तक सुखाता है. इसके बाद मूर्ति को स्टैंड देने के लिए आंगन के पेड़-पौधों की लकड़ियों का उपयोग करता है. मूर्ति को सजाने के लिए दर्जी की दुकान से कतरन, पेपर और थर्माकोल से मूर्तियों के लिए त्रिशूल, गदा, चक्र, कमंडल, फरसा, तलवार आदि का उपयोग करता है.
सभी मूर्तियां भी प्रिंस ने बनाई
आर्यन के पिता निकेश कुमार ओझा का झुकाव आध्यात्म की ओर ज्यादा है. इसलिए उन्होंने घर के आंगन में एक मंदिर का निर्माण कराया है. इस मंदिर में कृष्ण, गणेश-कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा स्थापित हैं. ये सभी मूर्तियां भी प्रिंस ने ही बनाई हैं.