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Odisha Train Accident: जानें क्या है कवच सिस्टम? ये होता तो बालासोर एक्सीडेंट टल जाता

टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय

Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद रेलवे की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा टेक्नॉलॉजी कवच की चर्चा लोग जोरों से कर रहे हैं. रेलवे की ओर से जो जानकारी दी गयी है, उसके अनुसार शुक्रवार शाम जिस मार्ग पर दुर्घटना हुई वहां “कवच” प्रणाली उपलब्ध नहीं थी. जब लोको पायलट फाटक पार करता है तो यह टेक्नॉलॉजी उसे अलर्ट कर देती है. अमूमन देखा गया है कि सिगनल पार करते समय ट्रेनों के बीच टक्कर हो जाती है. कवच टेक्नॉलॉजी उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के आने की स्थिति में निर्धारित दूरी के भीतर ही स्वचालित रूप से ट्रेन को रोक सकती है.

जानें कवच है क्या?
भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘कवच’ नामक अपनी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा टेक्नॉलॉजी विकसित की है. कवच को तीन भारतीय विक्रेताओं के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित करने का काम किया है. कवच की बात करें तो ये न केवल लोको पायलट को खतरे और तेज रफ्तार होने पर सिगनल से गुजरने से बचने में मदद करता है बल्कि घने कोहरे जैसे खराब मौसम के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद करता है. इस प्रकार, कवच ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाने का काम करता है और ऐसा कहा जा रहा है कि यदि ये टेक्नॉलॉजी ट्रेन में होती तो ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना नहीं होता.

कवच की खास बातें जानें
यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है तो कवच टेक्नॉलॉजी के तहत स्वचालित रूप से ब्रेक लग जाते हैं, जिससे गति नियंत्रित हो जाती है और हादसा होने से बच जाता है. आइए जानते हैं इस टेक्नॉलॉजी में और क्या है खास

  • इस टेक्नॉलॉजी के तहत पटरी के पास लगे सिग्नल की रोशनी कैबिन में पहुंचती है और यह रोशनी धुंध के मौसम में बहुत मदद करती है.
  • इस टेक्नॉलॉजी से ट्रेन की आवाजाही की निगराने वाले को ट्रेन के बारे में लगातार जानकारी उपलब्ध होती रहती है.
  • सिगनल पर अपने आप सीटी बज जाती है. लोको से लोको के बीच सीधे संचार के जरिए ट्रेनों के टक्कर की आशंका कम हो जाती है.
  • यदि कोई दुर्घटना हो जाती है, तो एसओएस के माध्यम से आसपास चल रही ट्रेनों को कंट्रोल करने में आसानी होती है.

-कवच का परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे के लिंगमपल्ली-विकाराबाद-वाडी और विकाराबाद-बीदर सेक्शन पर किया गया था, जिसमें 250 किलोमीटर की दूरी तय की गयी थी.
-कवच टेक्नॉलॉजी तैयार करने में कुल 16.88 करोड़ रुपए खर्च किये गये हैं.

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