खूंटी : अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट के लिए सोमवार को वोट डाले जायेंगे. छह जिलों और छह विधानसभा क्षेत्रों में फैले खूंटी संसदीय सीट के लिए सात प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 13 लाख नौ हजार 677 मतदाता करेंगे. इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 666584 और पुरुष वोटरों की संख्या 643087 है. मतदान के लिए कुल 1705 मतदान केंद्र बनाये गये हैं. रविवार को सभी मतदान कर्मियों को मतदान केंद्रों के लिए रवाना किया गया.
झारखंड की सबसे हॉट सीट के रूप में चर्चित खूंटी संसदीय सीट से इस बार सात उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें भाजपा के अर्जुन मुंडा, कांग्रेस के कालीचरण मुंडा, बहुजन समाज पार्टी की सावित्री देवी, झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस, भारत आदिवासी पार्टी की बबीता कच्छप, निर्दलीय बसंत कुमार लोंगा और निर्दलीय पास्टर संजय कुजूर शामिल हैं. सोमवार को सुबह सात से शाम पांच बजे तक वोट डाले जायेंगे. वोटों की गिनती चार जून को की जायेगी.
भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को 1445 मतों से पराजित कर दिया था. इस बार 13 मई को होने वाले मतदान में भी मुख्य मुकाबला दोनों पुराने प्रतिद्वंद्वियों के बीच ही है. भाजपा के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा एक बार फिर एक दूसरे को मात देने के लिए तैयार हैं.
वैसे तो यहां से सात उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन अन्य दल या प्रत्याशी कोई खास असर डाल पायेंगे, इसकी संभावना कम लगती है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस इस सीधे मुकाबले को त्रिकोणीय बना देंगी लेकिन चुनाव प्रचार में उनकी शिथिलता से साफ हो गया है कि चुनाव में उनकी उपस्थिति दमदार नहीं रहेगी. कमोवेश अन्य उम्मीदवारों की भी स्थिति ऐसी ही होगी. उनकी भूमिका वोट कटवा से अधिक होने वाली नहीं है.
महिला वोटर निभाएंगी हार-जीत में मुख्य भूमिका
खूंटी संसदीय सीट से प्रत्याशियों की हार-जीत में महिला वोटरों की भूमिका सबसे अहम होगी. क्योंकि, यहां पुरुष मतदाताओं की अपेक्षा महिला वोटरों की संख्या अधिक है. खूंटी संसदीय सीट में मतदाताओं की कुल संख्या 13 लाख नौ हजार 677 मतदाता है. इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 666584 और पुरुष वोटरों की संख्या है 643087 है. इस लोकसभा सीट के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक है. यही कारण है कि प्रत्याशियों की जीत-हार में महिलाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है.