उपराष्ट्रपति चुनाव कल, इस बार मुकाबला करीबी
आज सांसदों की मॉकपोल ट्रेनिंग; BJD और KCR की पार्टी रहेंगी दूर
नई दिल्ली : देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति का चुनाव अब बस एक दिन दूर है। शनिवार 9 सितंबर को होने वाले इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने हैं। आंकड़ों के लिहाज से एनडीए को बढ़त तो हासिल है, लेकिन विपक्ष की रणनीति और संभावित क्रॉस वोटिंग के कारण मुकाबला इस बार बेहद करीबी माना जा रहा है।
मॉक पोल से सांसदों को समझाया मतदान तरीका
चुनाव आयोग ने सोमवार को संसद भवन में सांसदों के लिए मॉक पोल ट्रेनिंग का आयोजन किया। उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान गुप्त मतपत्र (सीक्रेट बैलेट) से होता है। सांसदों को यह बताया गया कि उन्हें किस तरह से वरीयता के आधार पर वोट डालना है।
मतदान सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा और परिणाम उसी दिन शाम 6 बजे घोषित कर दिए जाएंगे। चुनाव राज्यसभा के कक्ष F-101 (वसुधा हॉल) में होगा। लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सांसद मतदान में हिस्सा लेंगे।
कितने वोट हैं जरूरी?
इस समय संसद में कुल मिलाकर 781 सांसद हैं, जिनमें से बहुमत पाने के लिए 391 वोटों की आवश्यकता होगी। एनडीए खेमे के पास लगभग 422 वोट बताए जा रहे हैं, जबकि इंडिया गठबंधन को करीब 360 वोट मिलने की उम्मीद है। हालांकि, यदि कहीं क्रॉस वोटिंग या अनुपस्थिति हुई तो तस्वीर बदल सकती है।
कौन हैं उम्मीदवार?
- सी.पी. राधाकृष्णन (NDA): तमिलनाडु से बीजेपी के दिग्गज नेता और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल। लंबे समय से संगठन और संसदीय राजनीति में सक्रिय।
- बी. सुदर्शन रेड्डी (INDIA): सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, जो अपने न्यायिक फैसलों और सादगीपूर्ण छवि के लिए पहचाने जाते हैं। विपक्ष ने उन्हें वैचारिक और सांकेतिक विकल्प के रूप में मैदान में उतारा है।
BJD और BRS ने किनारा किया
चुनाव की दिशा पर सबसे बड़ा असर पड़ा है बीजू जनता दल (BJD) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) के फैसले से। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी BJD और तेलंगाना के नेता के. चंद्रशेखर राव की पार्टी BRS ने मतदान से दूरी बनाने की घोषणा कर दी है। इनके सांसद अगर विपक्ष के पक्ष में आते तो मुकाबला और रोचक हो सकता था, लेकिन अब इसका लाभ सीधे-सीधे एनडीए को मिलता दिखाई दे रहा है।
विपक्ष की रणनीति
इंडिया गठबंधन जानता है कि गणितीय तौर पर उसके पास बहुमत की संभावना कम है। इसके बावजूद उसने बी. सुदर्शन रेड्डी को उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि यह चुनाव केवल सत्ता का नहीं बल्कि वैचारिक लड़ाई है। विपक्ष का मकसद है कि देशभर में यह संदेश जाए कि वे संविधान और न्यायपालिका के पक्षधर उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं।
क्या हो सकता है उलटफेर?
विशेषज्ञ मानते हैं कि एनडीए की स्थिति मजबूत है, लेकिन संसद के कुछ सांसदों का रुख अभी भी अनिश्चित है। विपक्ष को उम्मीद है कि कुछ सांसद पार्टी लाइन से हटकर वोट कर सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि 15–20 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग कर दी तो चुनाव का नतीजा कड़ा हो सकता है।
क्यों अहम है यह चुनाव?
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। इसलिए यह चुनाव सिर्फ औपचारिक नहीं बल्कि संसद की कार्यवाही और आने वाले विधायी समीकरणों को भी प्रभावित करेगा। संसद में लगातार बढ़ रहे गतिरोध और हंगामे को देखते हुए नई पारी में उपराष्ट्रपति की भूमिका बेहद अहम होगी।
