यूपीएससी सिविल सेवा परिणाम: जमशेदपुर की स्वाति शर्मा को मिला 17वां रैंक

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रांची : यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग 2023) सिविल सेवा का रिजल्ट मंगलवार को जारी हो गया, जिसमे झारखंड की बेटी स्वाति को 17वां रैंक मिला है. स्वाति जमशेदपुर जिले के कालिका नगर मानगो की रहने वाली है. वह पूर्व थल सैनिक (सीएमपी) संजय शर्मा की पुत्री है.

उधर, गढ़वा डीसी शेखर जमुआर की बेटी साक्षी जमुआर को 89वां रैंक मिला है. रांची की मोनिका पटेल ने भी यूपीएससी क्रैक किया है. मोनिका को 708वां रैंक मिला है. रांची के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड दरभंगा हाउस में पदस्थापित मुख्य प्रबंधक वीरेश कुमार के बेटे वैभव कुमार ने भी यूपीएससी क्लीयर कर लिया है. वैभव कुमार को 151वां स्थान प्राप्त हुआ है.

यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 17वां रैंक लाने वाली स्वाति शर्मा ने बताया कि पिता सेना में थे, इसलिए आरंभिक पढ़ाई देश के कई हिस्सों में हुई. स्वाति ने मैट्रिक की परीक्षा आर्मी सेकेंडरी स्कूल कोलकाता से पास की. इसके बाद 12वीं की पढ़ाई उन्होंने साकची स्थित टैगोर एकेडमी से पूरी की. इसके बाद 2019 में उन्होंने बिष्टुपुर स्थित जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज से पॉलेटिकल साइंस में एमए किया. टैगोर एकेडमी में उनके एक शिक्षक जाकिर अख्तर ने उन्हें यूपीएससी एग्जाम के लिए मोटिवेट किया था. उनकी बातों से प्रभावित होकर माता-पिता से इस बात की जानकारी शेयर की तो उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए सभी मार्ग प्रशस्त कर दिये. यह उनका तीसरा प्रयास था. पहले दो प्रयास में उन्होंने जमशेदपुर में ही रहकर पढ़ाई की, परीक्षा दी लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने तय किया कि अंतिम प्रयास करना है लेकिन इसके लिए दिल्ली जाने का फैसला किया गया. नवंबर 2022 में दिल्ली में जाकर पढ़ाई शुरू की. 2023 जून में परीक्षा हुई और अगस्त में परिणाम आया. जनवरी 20024 में उनका इंटरव्यू हुआ, जिसका परिणाम टॉप 17वां रहा.

इस संबंध में स्वाति ने कहा कि सोचा जरूर था कि यूपीएससी क्रैक करूंगी लेकिन यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि इतना बेहतर प्रदर्शन कर पाऊंगी. हर सफलता के पीछे माता-पिता का हाथ होता है. इसमें मेरे भाई टाटा स्टील में कार्यरत संजीव शर्मा ने भी काफी मदद की. पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सुशील कुमार सिंह, राजीव रंजन सिंह और पूरी टीम ने उनके घर पर जाकर उन्हें बधाई दी. स्वाति शर्मा ने बताया कि उन्होंने जो स्थान हासिल किया है, उसके पीछे एक मूलमंत्र रहा पुरानी गलतियों को दोबारा दोहराना नहीं है. आगे कैसे पढ़ना है, इसके बारे में सोचना है. टॉपर रहे छात्रों ने किस तरह सवालों काे हल किया, उनकी पढ़ाई का पैटर्न क्या रहा, किस तरह खुद को बिना दवाब के पढ़ाई में व्यस्त रखना है, यह सीखा और इस पर काम किया, जिंदगी खुद बेहतर बनती गयी. पढ़ाई कभी भी बोझ या उबाऊ नहीं लगी. हर चीज अपने अनुरूप लगने लगी. उस दौरान यह समझ आने लग गया था कि अब पीछे मुंड़ कर देखने का समय खत्म हो गया, आगे बढ़ना है. यूपीएससी के परिणाम ने अपार खुशियां प्रदान की है, लगातार फोन आ रहे हैं. माता-पिता, भाई, रिश्तेदार सब काफी खुश हैं.

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