टमाटर का भाव क्या बढ़ा, किसानों की नींद उड़ गयी. जी हां…महंगे टमाटर कहां बेचें की जगह किसानों को इस बात की चिंता हो रही है कि टमाटर को बचाएं कैसे? ऐसा ही एक मामला कर्नाटक के हासन जिले के गोनी सोमनहल्ली गांव से सामने आया है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. दरअसल, यहां रात में जब पूरा गांव सोया था, तब चोर गिरोह बना कर पहुंचे और धरानी के खेत के सारे टमाटर चुरा ले गये. टमाटर की यह कोई छोटी-मोटी चोरी नहीं है. 2.7 लाख रुपये मूल्य के टमाटर की यह चोरी है.
धरानी इस गांव की महिला किसान है. उसने दो एकड़ जमीन पर टमाटर की फसल उगायी थी. टमाटर के भाव बढ़े, तो उसके सपने भी लाल हुए. देश में टमाटर की कीमतों ने इन दिनों रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं. देशभर में टमाटर के दाम 100-150 रुपये प्रति किलो तक के पार हो गये. धरानी को लगा, इस बार ऊपर वाले ने उसकी सुन ली है. उसे अपनी फसल की भरपूर कीमत मिलेगी. वह इस फसल को काट कर उसे बेंगलुरु के बाजार में बेचने की योजना बना रही थी.
बेंगलुरु में भी टमाटर की कीमत 120 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर पहुंच गयी है, मगर धरानी को इस बात का जरा भी गुमान नहीं था कि उसके टमाटर पर चोरों की भी नजर है और इन्हें चुरा ले जायेंगे. हुआ ऐसा ही. चोर आये. अपने साथ बाजाप्ता ट्रक साथ लाये. रातोंरात सारे टमाटर तोड़ लिये. उन्हें ट्रक में भरा और भोर होने से पहले निकल लिये. सुबह जब धरानी जागी, तो उसके पांव के नीचे की जमीन खिसक गयी. खेत में केवल पौधे थे, टमाटर नहीं. रोती-सुबकती धरानी थाने पहुंची. वहां पूरी कहानी सुनायी. पुलिस ने रपट दर्ज कर ली है. चोर तलाशे जा रहे हैं. किसान हैरान, परेशान हैं.
सदमा में है धरानी
धरानी सब्जी की खेती करती है. पिछली बार उसे सेम की फसल में भारी घाटा हुआ था, इसलिए कर्ज लेकर उसने टमाटर उगाये. फसल अच्छी हुई और संयोग से अभी टमाटरों की कीमतें भी ऊंची थीं, लेकिन चोरों ने टमाटर की 50-60 बोरियां लेने के अलावा हमारी बाकी खड़ी फसल भी नष्ट कर दी.
चोरी का अनोखा मामला
स्थनीय पुलिस का कहना है यह पहली बार है, जब उसके थाने में टमाटर चोरी जैसा कोई मामला आया है. यह चोरी का अपने आप में अनोखा केस है. पुलिस जांच की जा रही है. इधर, धरानी के बेटे ने भी राज्य सरकार से मुआवजे की गुहार लगायी. धरानी कहती है, हमने टमाटर की खेती के लिए कर्ज लिया है. पूरे परिवार ने मेहनत की. फसल बिक जाती, तो कर्ज भी चुक जाता और मेहनत का मूल्य भी मिल जाता, मगर टमाटर के भाव क्या बढ़े, हमारी तो मुश्किलें बढ़ गयीं.