पूर्वी सिहंभूमि

दलमा को इको-सेंसिटिव जोन घोषित करने के खिलाफ हजारों आदिवासियों का जमशेदपुर में जनप्रदर्शन, विस्थापन न करने की मांग

जमशेदपुर : दलमा क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन घोषित कर वहां से आदिवासियों और पारंपरिक वननिवासियों के विस्थापन की योजना के विरोध में मंगलवार को हजारों की संख्या में आदिवासियों ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। यह जनप्रदर्शन दलमा क्षेत्र ग्राम सभा सुरक्षा मंच (कोल्हान) के नेतृत्व में आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों गांवों से आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए।

अंबागान मैदान से निकली रैली, उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचा विरोध

प्रदर्शनकारी पारंपरिक हथियार जैसे तीर-धनुष, लाठी और भाला लेकर सुबह अंबागान मैदान में इकट्ठा हुए और फिर रैली की शक्ल में जोरदार नारेबाजी करते हुए उपायुक्त कार्यालय पहुंचे। इस रैली में पटमदा, चांडिल, बोडाम, डिमना, पारडीह, गालूडीह, घाटशिला और मुसाबनी जैसे दूरदराज के क्षेत्रों से हजारों ग्रामीण शामिल हुए थे।

विशेष रूप से इस प्रदर्शन में महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही। वे हाथों में “हम उजाड़े नहीं जाएंगे – जंगल हमारा है”, “हमारी जमीन, हमारा हक” जैसे नारों वाले बैनर और पोस्टर लेकर प्रदर्शन स्थल तक पहुंचीं।

जनसभा में आदिवासी नेताओं का सरकार पर हमला

झारखंड ग्राम सभा सुरक्षा मंच के संजय नाग, आदिवासी सम्प्रभुता समिति की सुशीला सोरेन, बिरसा सेना के रामचंद्र पूर्ति, आदिवासी जन मंच के पतरस टुडू और स्वराज सोशियो इकनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर की रजनी बेसरा ने जनसभा को संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि सरकार इको-सेंसिटिव जोन के नाम पर आदिवासियों की जमीन, जंगल और पहचान छीनने की कोशिश कर रही है, जो किसी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय सदियों से जंगलों में रहकर प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व में जीता आया है। अब यदि उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित करने की कोशिश की जाती है तो यह संविधान और मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन होगा।

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

प्रदर्शनकारियों ने सरकार के समक्ष अपनी दो प्रमुख मांगें रखीं:

  1. ग्रामसभा की सहमति के बिना कोई निर्णय न लिया जाए।
  2. विस्थापन के बजाय पारंपरिक अधिकारों को कानूनी गारंटी दी जाए।

इन मांगों को लेकर सभी संगठनों ने कहा कि यदि सरकार ने आदिवासियों की बात नहीं सुनी तो प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

शांतिपूर्ण रहा प्रदर्शन, प्रशासन ने ली मांगों की प्रति

प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और अंत में एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है।

इस प्रदर्शन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि आदिवासी समुदाय अपने जंगल, जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए संगठित और सजग है, और किसी भी विस्थापन योजना को बिना प्रतिरोध के लागू नहीं होने दिया जाएगा।

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