रांची : हालही में रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ ‘’दहाड़’’ ने अपनी कहानी से दर्शकों का दिल जीत लिया है. विशेष रूप से सुमित अरोड़ा द्वारा लिखे गए मनोरंजक और दमदार डायलॉग्स, जिन्होंने इसे दर्शकों का फेवरेट शो बना दिया.
शो के 10 सबसे यादगार और दिलकश डायलॉग्स
“जो खुश होता है वह खुदकुशी नहीं करता”
इंसाफ की जाति पूछोगे ना तो वह भी ऊंची जाति का ही निकलेगा”
“यह थारी पुष्टि का टाइम ना है, संविधान का टाइम है, कायदे कानून का टाइम है”
“साफ तो आईना भी होवे पर पीछे से तो काला भी होवे”
“जिस आदमी के हाथों पर खून लगा हो, उससे भाईचारे की क्या उम्मीद?”
“जो पास होता है उसकी आंखों में धूल झोंकना ज़्यादा आसान होता है”
“विदिन द कंट्री में पूरी कंट्री आती है, देवी सिंह जी”
“एक रैपट मारूंगी लौट-ता फिरेगा”
“ऐसी सोरियां तो पहले भी कई बार बोल चुकी हूं. क्या करूँगा मैं तुम्हारी इन सोरियों का?”
“हमें कभी भी बुरे करम नहीं करने चाहिए. भगवान सब देख रहा है”
लेखक सुमित अरोड़ा ने विभिन्न माध्यमों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला
द फैमिली मैन और स्त्री जैसे प्रोजेक्ट्स में अपने डायलॉग्स के लिए प्रसिद्ध लेखक सुमित अरोड़ा ने विभिन्न माध्यमों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है. दिल मिल गए और 24 जैसी टेलीविजन सीरीज़ के लिए लेखन से लेकर स्त्री और 83 जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के संवाद लिखने तक सुमित ने खूब ख्याति पाई है. अब दर्शकगण गन्स एंड गुलाब और जवान इन दो फिल्मों में सुमित के डायलॉग्स पर सीटी और ताली बजाने के लिए खूब आतुर हैं.