हेमंत सरकार को सारंडा मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 31,468 हेक्टेयर क्षेत्र घोषित होगा सेंक्चुअरी
रांची : झारखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से सारंडा मामले में बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सारंडा क्षेत्र के 31,468.25 हेक्टेयर हिस्से को सेंक्चुअरी घोषित करने की अनुमति दे दी है। साथ ही, कोर्ट ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) और अन्य वैध खनन गतिविधियों को इस सेंक्चुअरी क्षेत्र से बाहर रखने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर इस संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।
🔹 क्या कहा कोर्ट ने?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह जानना चाहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश की तुलना में प्रस्तावित क्षेत्रफल कैसे बढ़ा। इस पर राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने अध्ययन के बाद 5,519.41 हेक्टेयर को सेंक्चुअरी घोषित करने का सुझाव दिया था।
यह प्रस्ताव डीएफओ से लेकर पीसीसीएफ तक पहुंचा, लेकिन सरकार ने व्यापक क्षेत्र में संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करने की मंशा जताई थी।
🔹 राज्य सरकार का रुख
राज्य सरकार ने कहा कि वह NGT के निर्देशों के अनुरूप सारंडा के 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करने के लिए तैयार है।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि सरकार नहीं चाहती कि इससे वैध खनन कार्य प्रभावित हों।
🔹 Amicus Curiae का विरोध
Amicus Curiae ने सरकार के नए चिह्नांकन की मांग का विरोध किया। उनका कहना था कि सरकार पहले ही 31,468.25 हेक्टेयर का क्षेत्र तय कर चुकी है, जिसमें 126 कंपार्टमेंट शामिल हैं और वहां खनन गतिविधियां नहीं हो रही हैं।
उन्होंने दोबारा क्षेत्र सीमांकन के लिए समय दिए जाने का विरोध किया।
🔹 SAIL की अपील पर कोर्ट का निर्णय
SAIL ने कोर्ट से आग्रह किया कि सेंक्चुअरी घोषित करने से उसके खनन कार्य प्रभावित न हों, क्योंकि सेंक्चुअरी के एक किलोमीटर दायरे में खनन पर प्रतिबंध का प्रावधान है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि देश के स्टील उत्पादन और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए SAIL और अन्य वैध खनन कार्यों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
🔹 मुख्य सचिव को मिली राहत
सुनवाई के दौरान झारखंड के मुख्य सचिव को भी कोर्ट ने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी। वे बुधवार को अदालत में मौजूद थे।
🔹 संरक्षण और विकास का संतुलन
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न सिर्फ सारंडा वन क्षेत्र के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि खनन और पर्यावरणीय संतुलन को साधने का भी एक प्रयास माना जा रहा है।
इस फैसले के बाद राज्य सरकार को वन्यजीव संरक्षण और औद्योगिक विकास दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
