रांची : पेरालिंपिक कमेटी ऑफ झारखंड के स्टेट मीडिया को-ऑर्डिनेटर संजय सर्राफ एवं दिव्यांग अधिकार मंच के संयोजक अजीत कुमार ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से झारखंड राज्य में दिव्यांगों की 11 सूत्री मांगों को शीघ्र लागू करने की मांग की है.
राज्य में दिव्यांगों की स्थिति दयनीय
उन्होंने कहा है कि झारखंड राज्य में दिव्यांगों की दयनीय स्थिति है तथा राज्य सरकार से उन्हें आवश्यक कोई भी सुविधा मुहैया भी नहीं हो पा रही है, विकलांग जनों के विभिन्न मुद्दों को शीघ्र लागू किया जाए.
दिव्यांगजनों के 11 सूत्री मांग
1. हमारे राज्य में दो साल से राज्य निशक्तता आयुक्त (स्वतंत्र प्रभार) का पद खाली है. जिससे विकलांग जनों से संबंधित सारी गतिविधियां और शिकायत निवारण तंत्र प्रभावित हो रही हैं. इस पद के लिए सामाजिक सुरक्षा के निदेशक को अतिरिक्त प्रभार देकर विकलांगों को लॉलीपॉप दे दिया गया.
2. आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 के 6 साल बीतने के बाद भी तहत सलाहकार समिति रिसर्च समिति व बोर्ड का गठन अभी तक नहीं हुआ है.
3. सामान्य स्कूलों में दिव्यांग बच्चे हेतु विशेष शिक्षकों स्थायी नियुक्ति नहीं करके उसे मानदेय पर रखा जा रहा है वह भी बिना किसी मापदंड, चयन प्रक्रिया या मेरिट लिस्ट के. जो 4 विशेष विद्यालय पहले से संचालित है उनके लिए 2 वर्ष पूर्व ही विज्ञप्ति जारी की गयी थी, लेकिन अब तक उन पर नियुक्ति नहीं हुई.
4. विशेष विद्यालय के भवन 15 साल से निर्मित होकर पड़े हुए हैं, लेकिन आज तक उस में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पायी है, स्कूलों में दूसरे विभाग के कार्यालय चल रहे हैं.
5. सुगम्य भारत अभियान के क्रियान्वयन में झारखंड सबसे पीछे हैं.
6. बौद्धिक दिव्यांगजनों के लिए राज्य में आश्रय गृह व सुधार गृह नहीं होने के कारण ऐसे असहाय विकलांग सड़कों पर पड़े रहते हैं.
7. जिला में मेडिकल बोर्ड में विकलांग जनों के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के कारण प्रमाण पत्र सभी तरह के विकलांगों का नहीं बन पा रहा है.
8. यूडीआईडी कार्ड के निर्गत करने में झारखंड ने सबसे अंतिम समय पर गंभीरता दिखाई.
9. झारखंड राज्य दिव्यांग निधि मे आवंटित दो करोड़ रुपए दिव्यांग जनों को स्वरोजगार हेतु नहीं बांटे गए. इस नीति को आज तक कार्य रूप में नहीं दिया गया और ना ही इस में आवंटन बढ़ाने हेतु कोई प्रयास किए गए.
11. झारखंड राज्य दिव्यांगजन अधिकार नियमावली 2018 को आज तक गजट अथवा राजपत्र में प्रकाशित नहीं किया गया जिससे उसकी कानूनी वैधता पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है.
विकलांग जनों से जुड़े की ज्वलंत मुद्दे
ऐसे कई विकलांग जनों से जुड़े ज्वलंत मुद्दे हैं जिसमें झारखंड सरकार के अधिकतर विभाग व कार्यालय निष्क्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं या फिर धीमी गति से कार्य कर रहे हैं कुछ एक विभागों को अगर छोड़ दिया जाए तो किसी को विकलांगता से जुड़े मुद्दों गंभीरता से नहीं लेते.
एक दो कदम कि हम लोगों को सराहना करनी चाहिए जैसे विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए विशेष अभियान चलाना, लेकिन पूर्व नियोजित योजना नहीं होने के कारण इसमें विफल हो जाना. स्कूलों में पढ़ने वाले दिव्यांग छात्र छात्राओं हेतु परीक्षा गाइडलाइन जारी करना आदि.