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चैंबर के नेतृत्व में आन्दोलन जारी, केंद्र से पत्राचार कर कहा- ई- नाम योजना पर भ्रम की स्थिति

राँची

रांची : कृषि शुल्क विधेयक के विरोध में झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स के नेतृत्व में प्रदेश के सभी जिलों में 14 फरवरी तक क्रमवार आंदोलन का दौर जारी है. पूर्व निर्धारित योजना के तहत आज सभी जिलों के चैंबर ऑफ कामर्स द्वारा केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ई-नाम पर झारखण्ड में हो रहे फर्जीवाडा की उच्चस्तरीय जांच के लिए माननीय प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्राचार किया गया.

ई- नाम पोर्टल पर झारखंड के जिलों का अपलोड डाटा मनगढ़ंत

चैंबर द्वारा पत्र प्रेषित कर कहा गया कि ई- नाम पोर्टल पर झारखण्ड के जिलों का अपलोड डाटा मनगढ़ंत है. उदाहरण देते हुए बताया गया कि पोर्टल पर पंडरा बाजार समिति के अपलोड डाटा (1.04.2017 से जनवरी 2023 तक) में कुल 9 तरह के कृषि उपजों की ट्रेडिंग दिखायी गयी है, जिसमें से 2 उत्पाद गोभी और ईमली का, क्रमशः इन छह वर्षों में ई- ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर केवल 2 कार्यदिवस एवं 1 कार्यदिवस पर ही व्यापार हुआ है.

अपलोड डाटा से बनावटी मंशा स्पष्ट

ई- ट्रेडिंग पोर्टल पर अपलोड डाटा के अवलोकन से इसमें निहित बनावटी मंशा का स्पष्ट पता चलता है. दिनांक 21.12.2021 को पंडरा बाजार समिति में आलू की आवक शून्य (0) क्विंटल दिखायी गयी है जबकि उसके सामने ही 25 क्विंटल की बिक्री प्रदर्शित की गयी है. इसी प्रकार दिनांक 13.05.2020 को तरबूज की आवक शून्य (0) क्विंटल और बिक्री 56 क्विंटल प्रदर्शित की गयी है. पुनः दिनांक 01.06.2021 को तरबूज की आवक शून्य (0) क्विंटल और बिक्री 30 क्विंटल दिखायी गयी है.

केंद्र को दिखाने की हो रही कोशिश, ई नाम सुगमतापूर्वक चल रहा

चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि फर्जी डाटा अपलोड करके केंद्र सरकार को एक ऐसी वस्तुस्थिति दिखाने की कोशिश की जा रही है कि झारखण्ड में ई नाम सुगमतापूर्वक चल रहा है किंतु स्थिति बिल्कुल विपरीत है. पोर्टल पर पंडरा बाजार समिति में जिन 9 उत्पादों की आवक एवं बिक्री दिखायी गयी है उसमें से गेहूं का व्यापार मुख्य रूप से दिखाया गया है.

कोई फसल एक निश्चित अवधि के भीतर ही आती है

जबकि किसी भी राज्य में कोई फसल एक निश्चित अवधि के भीतर ही आती है, तो यह वर्षभर किसानों की आवक की सत्यता की जांच होनी चाहिए. गोभी एवं ईमली जैसी वस्तुओं को छह वर्ष में सिर्फ दो बार आवक और बिक्री दिखायी गयी है. इन छह वर्षों में किसानों के ये उत्पाद पोर्टल पर बिक्री हेतु क्यों नही लाये गये? इसकी सत्यता की जांच होनी चाहिए.

छह वर्षों में बिक्री एवं आवक की पुष्टि की जाय

यह भी कहा गया कि छह वर्षों में पंडरा (रांची) बाजार समिति के ई नाम पोर्टल पर रागी 363 टन, मकई 134 टन, गेहूं 276 टन, आलू 51 टन, टमाटर 37 टन, अदरक 31 टन, तरबूज 37 टन, गोभी 3 टन एवं ईमली 1 टन का डाटा अपलोड किया गया है. इन छह वर्षों में विभिन्न अवधि में बिक्री एवं आवक का उल्लेख किया गया है. इन उत्पादों की आवक किन पंजीकृत किसानों की ओर से मंडी में लाये गये एवं किन आढ़तियों को इसकी बिक्री की गयी, उसकी विस्तृत जानकारी पंडरा बाजार समिति से लेकर इसकी पुष्टि की जाय.

छह वर्षों में 250 दिन का ही व्यापार

पोर्टल पर पंडरा बाजार समिति के अपलोड डाटा के अवलोकन से यह पता चलता है कि लगभग छह वर्षों में 250 दिन का व्यापार ही ई- पोर्टल पर हुआ है. इन छह वर्षों में 250 दिन के अतिरिक्त व्यापार क्यों नहीं हुआ तथा कृषकों की आवक की बिक्री किस प्रकार हुई, इसकी भी जांच आवश्यक है.

झारखंड में ई नाम पोर्टल पर ट्रेडिंग दूर की बात

रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि झारखंड में ई नाम पोर्टल पर ट्रेडिंग तो दूर की बात है, इस योजना से छोटे- छोटे कृषक जागरूक भी नहीं हैं. पोर्टल पर कृषकों द्वारा अपलोड करने के साथ ही किस प्रकार ट्रेडिंग की जा सकती है, इस स्तर पर भी राज्य में अभी काम किया जाना बाकी है. ऐसे में ई-ट्रेडिंग किस प्रकार संभव है, इसपर संशय है.

कृषकों का माल बाजार समिति तक आता ही नहीं

छोटे कृषकों को मंडी तक अपना माल ले जाने में उपज की लागत मूल्य अधिक हो जाती है इसलिए यह भी वास्तविकता है कि झारखण्ड में कृषकों का माल बाजार समिति तक विपणन के लिए आता ही नहीं है. सारा कारोबार स्थानीय स्तर पर ही होता है.

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