
रांची : झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के 12वें दिन मंगलवार को ध्यानाकर्षण के जरिये भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सिरमटोली फ्लाईओवर मामले को सदन में रखा. उन्होंने कहा कि फ्लाईओवर को लेकर वहां के लोग आंदोलनरत हैं.
भाजपा विधायक ने कहा कि इस मामले को लेकर उनके साथ-साथ मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों का पुतला फूंका गया. यह उनके विधानसभा में आता है. सरहुल में पूजा-अर्चना होती है जहां हजारों लोग आते हैं. इसका समाधान जल्द किया जाए. इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सामाजिक संगठनों के माध्यम से यह विषय मेरे पास आया है. चिंता की कोई बात नहीं है. सरहुल मनेगा और बढ़िया से मनेगा.
दरअसल सरहुल पर्व झारखंड और आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में मनाया जाता है. इसमें प्रकृति विशेषकर साल वृक्ष (सखुआ)की पूजा की जाती है. यह पर्व नए साल की शुरुआत और बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है.
कई संगठन कर रहे विरोधः
सरना स्थल के पास फ्लाईओवर का रैंप बनाए जाने से कई सामाजिक संगठन नाराज हैं और इसका विरोध कर रहे हैं. 17 मार्च को विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किया गया था. इसके विरोध में कई संगठनों ने 22 मार्च को रांची बंद बुलाया है.
29 विधायकों का पुतला दहन किया गयाः
सिरमटोली सरना स्थल के समक्ष रैंप निर्माण के विरोध में आदिवासी संगठनों और आदिवासी समुदाय के लोगों ने शवयात्रा निकाली. शव यात्रा सिरमटोली सरना स्थल से निकल कर क्लब रोड, सुजाता चौक, मेन रोड होते हुए अलबर्ट एक्का चौक पहुंची, जहां पुतला दहन किया गया. एक प्रदर्शनकारी ने अपना सिर भी मुंडवाया लिया, जिसने पुतलों में आग लगायी. साथ ही 22 को रांची बंद का नारा लगाया गया. विरोध प्रदर्शन की वजह से अलबर्ट एक्का चौक पर जाम लग गया था.
2 माह से चल रहा आंदोलनः
आदिवासी संगठनों के लोगों ने कहा कि दो-ढाई माह से लगातार आंदोलन चल रहा है, पर सभी आदिवासी नेता खामोश हैं. सिरमटोली सरना स्थल सरहुल की शोभायात्रा का केंद्र है. रैंप निर्माण से शोभायात्रा पर असर पड़ेग. उन्होंने कहा कि रांची के विधायक सीपी सिंह, सांसद संजय सेठ भी कुछ नहीं कर रहे हैं. इसलिए उनका भी पुतला दहन किया जा रहा है. रैंप निर्माण के विरोध में 22 मार्च को रांची बंद रहेगा.
सरना स्थल पर उतारा गया है रैंपः
सिरमटोली मेकॉन फ्लाई ओवर का रैंप मुख्य सरना स्थल के द्वार पर उतार दिया गया है, जो आदिवासी समुदाय के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इसीलिए रैंप को हटाने की मांग की जा रही है. 1 अप्रैल को आदिवासियों के प्रमुख पर्व सरहुल है. तमाम गांव, मोहल्ला, टोलों से निकलने वाली शोभायात्रा और जुलूस इस सरना स्थल पर पहुंचेंगे. लोगों का कहना है कि रैंप की वजह से सरहुल पर्व के दिन बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.