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मुख्यमंत्री का पुतला फूंका, शिक्षकों ने प्रदर्शन कर जताया आक्रोश

बिहार

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के सैकड़ों शिक्षकों ने मंगलवार को आक्रोशपूर्ण जुलूस निकाला और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर का एक साथ पुतला दहन किया .पुतला दहन के पश्चात भगत सिंह चौक पर शिक्षकों ने सभा आयोजित की .

विनय प्रभाकर ने शिक्षकों की नई सेवा शर्त नियमावली का पुरजोर विरोध किया

सभा को संबोधित करते हुए संघ के जिला अध्यक्ष विनय प्रभाकर ने शिक्षकों की नई सेवा शर्त नियमावली का पुरजोर विरोध किया . उन्होंने नई नियमावली को पूर्व से नियोजित शिक्षकों के लिए साजिश बताते हुए कहा राज्य सरकार नियोजित शिक्षकों को गुलाम बनाना चाहती है . राज्य सरकार ने नियोजन इकाई खत्म करने का वादा किया था लेकिन सभी नियोजन इकाइयों को यथावत प्रभावी छोड़ दिया गया है और नया संवर्ग बनाकर उसके अंतर्गत नियुक्त होने वाले शिक्षकों को 20 वर्षों से कार्यरत नियोजित शिक्षकों पर शासन करने के लिए नया कैडर बना दिया गया है .

सरकार के इस छल और धोखा का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा

जिला महासचिव जतिन कुमार ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को चुनावी वादा याद दिलाते हुए कहा कि श्री यादव ने नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा तथा समान काम का समान वेतन देने और पुरानी पेंशन लागू करने का विश्वास दिलाते हुए राजद के प्रण पत्र में इसकी घोषणा की थी लेकिन नई नियमावली आते ही स्पष्ट हो गया है कि उनका वादा चुनावी जुमलेबाजी था . तेजस्वी यादव के इस जुमलेबाजी के प्रभाव में आकर राज्य के सभी नियोजित शिक्षकों ने राजद को एकतरफा वोट दिया था और बैलेट से हुए चुनाव में राजद को सभी जगह जीत मिली थी जिसे भूलना उन्हें महंगा पड़ेगा .नियोजित शिक्षकों को लुभावने दिलासे दिलाकर उन्हें छलने का काम किया गया है . सरकार के इस छल और धोखा का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.

शिक्षकों के राज्य कर्मी का दर्जा पाने का सपना भी सपना ही बनकर रह गया

जिला महासचिव ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि सरकार ने यदि शीघ्र नियोजित शिक्षकों को अध्यापक संवर्ग में समायोजित करने की घोषणा नहीं की तो राज्य में चल रहे जातिगत जनगणना का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा . शिक्षक नेताओं ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को स्थानीय निकायों के अधीन छोड़ देने के कारण उनका अंतर जिला स्थानांतरण नहीं हो सकेगा . राज्य की हजारों शिक्षिकाएं एवं घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर कार्यरत शिक्षकों को उम्मीद थी कि उन्हें जिला संवर्ग में शामिल किया जाएगा और स्थानांतरण का लाभ मिल सकेगा लेकिन उनकी उम्मीद पर पानी फिर गया है . वहीं शिक्षकों के राज्य कर्मी का दर्जा पाने का सपना भी सपना ही बनकर रह गया है .

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