नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर मामले पर 6500 एफआईआर का वर्गीकरण मांगते हुए डीजीपी को समन भेजा है. उन्हें 7 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर सवालों के जवाब देने का आदेश दिया गया है. मंगलवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्य में मई से जुलाई तक कानून- व्यवस्था ठप हो गयी थी.
राज्य पुलिस की लचर जांच पर फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस की लचर जांच पर फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि मणिपुर में मौजूद सीबीआई के अधिकारी वायरल वीडियो मामले में पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज कर सकते हैं. सुबह कोर्ट ने कहा था कि आज होने वाली सुनवाई तक सीबीआई महिलाओं के बयान न ले.
निर्वस्त्र घुमायी गयी दो महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है
मणिपुर में जिन दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया था, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दोनों महिलाओं ने वकील जावेदुर रहमान के जरिये दायर याचिका में कहा कि इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए. वैसे इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को स्वतः संज्ञान लिया था.
बेंच ने कहा था- हमें इन तस्वीरों से धक्का पहुंचा
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि हमें इन तस्वीरों से धक्का पहुंचा है. हिंसा प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं को सामान की तरह इस्तेमाल किया गया. अगर राज्य सरकार कार्रवाई नहीं करेगी, तो हम करेंगे.
केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा- जांच सीबीआई को ट्रांसफर की जा रही
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा है कि राज्य सरकार की सहमति लेकर जांच सीबीआई को ट्रांसफर की जा रही है, क्योंकि मुकदमे का तेज निपटारा जरूरी है. केंद्र सरकार ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट इस केस को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने का आदेश दे और ट्रायल कोर्ट से कहे कि वह चार्जशीट के 6 महीने के भीतर फैसला दे.