नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि नबाम रेबिया मामले में उठाए गए सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए, क्योंकि उसमें और स्पष्टता की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- स्पीकर याचिकाओं पर आगे बढ़ सकते हैं
इस बीच (जब तक एक बड़ी बेंच रेबिया के फैसले की शुद्धता का फैसला नहीं करती सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर स्पीकर को लगता है कि उन्हें हटाने का प्रस्ताव प्रक्रिया के अनुसार नहीं है, तो वह विधायकों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाओं पर आगे बढ़ सकते हैं.
विधायक दल के व्हिप की नियुक्ति राजनीतिक दल द्वारा की जाती है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायक दल के व्हिप की नियुक्ति मूल राजनीतिक दल द्वारा की जाती है, न कि विधायक दल द्वारा. इस प्रकार, विधायक दल में बहुमत हासिल करने वाले शिंदे गुट द्वारा भरत गोगावाले को व्हिप के रूप में नियुक्त करना अवैध था.
महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल के पास निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई तथ्य नहीं था
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई तथ्य नहीं था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया था. इसलिए उनके पास फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने का कोई कारण नहीं था, जिसे आंतरिक रूप से हल करने की आवश्यकता नहीं है. राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए और पार्टी के भीतर या अंतर- पार्टी के विवादों का फैसला नहीं करना चाहिए.
तत्कालीन राज्यपाल ने शिंदे गुट के पत्र पर भरोसा करके गलती की
कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने शिंदे गुट के पत्र पर भरोसा करके गलती की कि उसे ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में कोई विश्वास नहीं है. शिंदे गुट के विधायकों को सुरक्षा की कमी का इस बात पर कोई असर नहीं है कि ठाकरे सरकार के पास बहुमत है या नहीं, कोर्ट ने इस तथ्य को फ्लोर टेस्ट बुलाने के फैसले के लिए बाहरी करार दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी कि ठाकरे सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है और कहा कि यह असंवैधानिक फैसला है.
राज्यपाल ठाकरे सरकार को वापस नहीं रख सकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ठाकरे सरकार को वापस नहीं रख सकता, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था. हम उनके इस्तीफे को रद्द नहीं कर सकते हैं और इसलिए ठाकरे को सरकार की सीट पर वापस नहीं रखा जा सकता है.
ठाकरे के इस्तीफा के बाद शिंदे को आमंत्रित करने में राज्यपाल सही
कोर्ट ने कहा कि चूंकि ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, इसलिए सरकार बनाने के लिए शिंदे के नेतृत्व वाले गठबंधन को आमंत्रित करने के लिए राज्यपाल सही थे. कोर्ट ने कहा कि सत्तारूढ़ ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के लिए ऑपरेशन सफल, रोगी मृत का एक उत्कृष्ट मामला है.
उद्धव ठाकरे गुट अस्थायी नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने 16 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था. 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के चुनाव चिह्न के मामले में निर्वाचन आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि उद्धव ठाकरे गुट अस्थायी नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल जारी रख सकता है.
कोर्ट ने शिंदे गुट और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था
सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि शिंदे गुट अभी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं. निर्वाचन आयोग ने 17 फरवरी को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया और धनुष बाण चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया.
आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक
आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है. निर्वाचन आयोग ने कहा था कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गयी. इन तरीकों को निर्वाचन आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था. पार्टी की ऐसी संरचना भरोसा जगाने में नाकाम रहती है.