नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता से जुड़े मामलों की जांच के लिए हाई कोर्ट की तीन रिटायर्ड महिला जजों की एक कमेटी गठित की है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया.
जम्मू की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल अध्यक्ष होंगी अध्यक्ष
कमेटी में जम्मू- कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल अध्यक्ष व बाम्बे हाई कोर्ट की रिटायर जज जस्टिस शालिनी जोशी और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस आशा मेनन शामिल होंगी. कोर्ट ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय पडसालगिकर को नियुक्त किया है.
सुप्रीम कोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा- कमेटी नियुक्त करेंगे
सुप्रीम कोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वह तीन हाई कोर्ट के रिटायर जजों की कमेटी नियुक्त करेगा. हमारा प्रयास कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है. यह कमेटी जांच के अलावा अन्य चीजों पर भी गौर करेगी, जिसमें राहत और उपचारात्मक उपाय आदि शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं से जुड़े अपराध वाली 11 एफआईआर की जांच सीबीआई करेगी, लेकिन इनमें अलग- अलग राज्यों से 5 डीएसपी स्तर के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा.
पांच डीसीपी लेवल के अधिकारियों को सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर लाया जाएगा
सीजेआई ने कहा कि 11 एफआईआर की जांच की निगरानी के लिए 5 डीसीपी लेवल के अधिकारियों को सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर लाया जाएगा. ये अधिकारी सीबीआई के प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे और इनकी निगरानी सीबीआई के संयुक्त निदेशक करेंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने अधिकारियों की पहचान कर ली है, जिन्हें जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट से रिटायर जज जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस आशा मेनन और जस्टिस शालिनी जोशी की तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी में शामिल किया गया है.
एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंपी, पांच उच्च पुलिस अधिकारी करेंगे जांच
कोर्ट ने एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंपते हुए कहा कि इनकी जांच पांच उच्च पुलिस अधिकारी करेंगे. उनको अलग-अलग राज्यों से डेपुटेशन पर लाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा मामलों की जांच की निगरानी महाराष्ट्र के पूर्व आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय पडसालगिकर को सौंपी, जो हिंसा से जुड़ी सभी जांच की निगरानी करेंगे और जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगे.
महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच सीबीआई ही करेगी
चीफ जस्टिस ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच सीबीआई ही करेगी लेकिन स्वतंत्र निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई में दूसरे राज्यों से डिप्टी एसपी रैंक के पांच- पांच अफसर लिये जाएंगे. बाकी मामलों की पुलिस जांच में 42 एसआईटी बनेंगी, जिसका नेतृत्व एसपी रैंक का अधिकारी करेगा. इसके अलावा एसपी रैंक के अधिकारी एसआईटी की निगरानी करेंगे.
अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने एफआईआर से जुड़ी चार्टकोर्ट पेश की
आज सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने एफआईआर से जुड़ी चार्टकोर्ट पेश की. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले को अपने स्तर पर संभाल रही है. हमने घटना से जुड़े बयानों और घटनाओं को अलग-अलग किया है. अटार्नी जनरल ने कहा कि सभी आयामों को ध्यान में रखकर परिपक्व सोच के साथ जांच चल रही है. इसमें कई जिले प्रभावित हैं.
अटार्नी जनरल ने कहा- अपराधों की प्रकृति के आधार पर अलग किया
अटार्नी जनरल ने कहा कि मोटे तौर पर एफआईआर के विश्लेषण और अपराधों की प्रकृति के आधार पर हमने इसे अलग किया है. जिला स्तर पर हत्याओं के मामले में एसपी स्तर के अधिकारी जांच करेंगे, जबकि यौन अपराधों के मामले में पूरी तरह से महिला जांच अधिकारियों की जांच टीमें होंगी.
कोर्ट को बताया गया- जांच सक्षम महिला पुलिस अधिकारी कर रही
इससे पहले बहस के दौरान कोर्ट को बताया गया कि हत्या और महिलाओं के साथ हुई अपराधों की जांच के लिए उच्च अधिकारी और महिलाओं से जुड़े अपराध की जांच सक्षम महिला पुलिस अधिकारी कर रही हैं. डीआईजी साप्ताहिक तौर पर जांच कार्य में प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं जबकि डीजीपी हर 15 दिन में समीक्षा कर रहे हैं. अटार्नी जनरल ने कहा कि हम जमीनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल हम सभी शांति बहाली चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस दौरान कोई छोटी सी भी चूक बहुत गहरा असर डाल सकती है.
सॉलिसिटर जनरल ने बताया- छह एसआईटी बनायी गयी
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि छह एसआईटी बनायी गयी हैं. एसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारी मुकदमों की जांच की निगरानी कर रहे हैं. महिलाओं से संबंधित अपराधों की जांच के लिए बनी एसआईटी में सक्षम महिला अधिकारियों को शामिल किया गया है. मेहता ने कहा कि इसमे कोई संदेह नहीं है कि 11 एफआईआर को सीबीआई को दिया जाएगा, लेकिन उनके अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराध वाली एफआईआर की भी जांच एसआईटी करेगी.
याचिकाकर्ताओं की वकील ने कहा- 166 ए के तहत कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गयी
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए के तहत भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है, जो कार्रवाई न करने के लिए अधिकारियों को जवाबदेह बनाती है. इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस मामले में दो पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है. पहला मामले की जांच हो और दूसरा हिंसा पर रोकथाम. भविष्य में ऐसा कुछ न हो इसके लिए भी काम किए जाने की जरूरत है. अभी भी संघर्ष चल रहा है. इसलिए जांच के साथ-साथ अपराध की रोकथाम के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए.
जांच के लिए कोर्ट रिटायर्ड जज की अगुआई में आयोग बनाए
उन्होंने कहा कि जांच के लिए कोर्ट रिटायर्ड जज की अगुआई में आयोग बनाए या फिर अपनी निगरानी में जांच कराए. इसके लिए सभी संभव संसाधनों और स्रोतों का इस्तेमाल किया जाए जिसमें स्थानीय लोग, सक्षम नागरिक संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और पीड़ित लोगों में से कुछ को इसमें शामिल किया जा सकता है.
इंदिरा जयसिंह ने कहा- निर्भया मामले में पुलिस काम ठीक से नहीं कर रही थी
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि निर्भया कांड के दौरान पता चला था कि पुलिस अपना काम ठीक से नहीं निभा रही थी. इसलिए 2012 के संशोधन द्वारा भारतीय दंड संहिता में 166 ए लाया गया. 166 ए कहता है कि जो पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे, उन्हें दंडित किया जाएगा. हम इस धारा को लागू करने की मांग कर रहे हैं.
तुषार मेहता ने कहा- सुनवाई से एक दिन पहले मणिपुर में कुछ बड़ी घटना हो जाती है
तुषार मेहता ने कहा कि जब भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली होती है, एक दिन पहले ही मणिपुर में कुछ बड़ी घटना हो जाती है, पता नहीं ये इत्तेफाक है या कुछ और. मेहता ने शवों के हस्तांतरण के मामले पर कहा कि डीजीपी ने बताया कि उनके पास कई नोडल अधिकारियों के नंबर हैं, जो शवों को सुपुर्द करेंगे. अगर कोई कठिनाई हो तो हम यहां हैं. वकील विशाल तिवारी ने मांग की कि कमेटी इसकी जांच करे और इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को करनी चाहिए.
वकील निजाम पाशा ने कहा- एसआईटी का चयन राज्य कैडर से होता है तो सवाल खड़े होंगे
वकील निजाम पाशा ने कहा कि एसआईटी का चयन राज्य द्वारा किया जाता है और कई आरोप राज्य पुलिस के खिलाफ भी हैं. राज्य मामले में सक्रिय भागीदारी से लेकर अपराध तक से जुड़ा है. ऐसे में यदि चयन राज्य कैडर से होता है तो सवाल खड़े होंगे ही. इसलिए चयन सुप्रीम कोर्ट से होना चाहिए. वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन के खिलाफ ही गोला बारूद की लूट का मामला है. उन्हें लूटने की इजाजत दी गई. यह बहुत गंभीर आरोप है, क्योंकि हथियारों के कारण हिंसा और बदतर हो गई.
कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा- दंगा के लीडरों की पहचान करनी चाहिए
वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि जब कोई दंगा होता है, तो उसमें मुख्य भूमिका लीडरों की होती है उनकी पहचान करनी चाहिए. वे 10 या 20 ही हैं लेकिन अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं. जांच का कुछ हिस्सा उन व्यक्तियों पर भी केंद्रित होना चाहिए, जिन्होंने इस साजिश को रचा और अंजाम दिया. वकील वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इस घटना के लिए सीमा के पार आतंकवादी समूह शामिल हैं. इससे सिर्फ एक समुदाय नहीं है बल्कि सभी समुदाय प्रभावित हैं.
मूल मुद्दा अफीम की खेती का है, सीमा पर तारबंदी बहुत कम एरिया में
उन्होंने कहा कि मूल मुद्दा अफीम की खेती का है जिससे उन्हें काफी पैसा मिलता है. वह बस सीमा पार जा सकते हैं और सीमा से वापस आ सकते हैं, क्योंकि सीमा पर तारबंदी बहुत कम एरिया में है. उन्होंने कहा कि विदेश से आए मेलिटेन भी हिंसा में शामिल हैं, जिनके पास एके-47 और ऑटोमेटिक राइफल्स जैसे हथियार हैं. सिर्फ 10 किलोमीटर बॉर्डर पर फेंसिंग है, बॉर्डर के एक दूसरी ओर आना जाना बहुत आसान है.