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सेन्टेवीटा में दुर्लभ एवं गंभीर बीमारी अप्लास्कि एनीमिया का हुआ सफल इलाज

राँची

रांची : झारखंड में पहली बार दुर्लभ एवं गंभीर अप्लास्टिक अनीमिया का हॉर्स एटीजी के साथ इम्यूनोसप्रेसिव पद्धति द्वारा 84 वर्षीय महिला (पेशे से वरीय गाईनोलॉजिस्ट हैं) का सफल इलाज किया गया. चिकित्सा के क्षेत्र में इसे लाईफ थ्रीटनिंग परिस्थिति कहते हैं.

रोग में बोन मैरो सूख जाता है

इस रोग में बोन मैरो, जहाँ हेमैटोपोएटिक ब्लड सेल का निर्माण होता है, सूख जाता है. परिणामस्वरूप सेलों का निर्माण नहीं होता जो कि गंभीर पैनसिटोपेनिया की ओर अग्रसर करती है. यह काफी लाईफ थ्रीटनिंग परिस्थिति होती है.

गंभीर स्थिति में रोगी को सेंटेविटा में भर्ती कराया गया

गंभीर स्थिति में रोगी को डॉ अभिषेक रंजन डीएम क्लीनिकल हर्मेटोलॉजी की चिकित्सा में रांची स्थित सेंटेविटा अस्पताल में भर्ती कराया गया. परीक्षण के उपरांत पाया गया कि रोगी गंभीर पैनसिटोपेनिया के साथ-साथ अति निम्न W.B.C. (डब्लुबीसी) काउण्ट के साथ ऐबसॉल्यूट न्यूट्रोफिल्स काउण्ट जो 500 से कम, प्लैटलेट्स 20000 से कम तथा निम्न हेमोग्लोबिन से पीड़ित है.

मरीज को लगभग 20 दिनों के लिए भर्ती रखा गया

अस्पताल में मरीज को लगभग 10 लाख रूपये लागत के साथ लगभग 20 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रखा गया है. अगले 2 से 3 महीनों के दौरान मरीज को फॉलो-अप के लिए आना और अन्य दवाओं के साथ लगभग 2 लाख/माह की लागत वाली विशेष दवा टैबलेट वैलकेड दी जाती है.

पहली बार हेमेटोलॉजी में इस तरह की जटिल प्रक्रिया हुई

झारखंड में पहली बार हेमेटोलॉजी में इस तरह की जटिल प्रक्रिया हुई है. इससे पहले मरीजों को इस प्रकार के इलाज के लिए राज्य से बाहर हायर सेंटर में जाना पड़ता था, जहाँ इलाज और भी महंगा होता है. लगभग 25 से 30 लाख रुपये और मरीज को वहाँ 3 से 4 महीने तक रहना भी पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव और आर्थिक बोझ भी पड़ता है.

डॉ अभिषेक रंजन व उनकी टीम का रहा योगदान

किन्तु, सेंटिविटा अस्पताल ने यह दुर्भल एवं जटिल समस्या का समाधान कम लागत में एवं कम समय में कर दिखाया है. इस कार्य में अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ डॉ अभिषेक रंजन व उनकी टीम का बहुत ही उल्लेखनीय योगदान रहा है.

डॉ अभिषेक रंजन एकमात्र डीएम क्लिनिकल हेमेटोलॉजिस्ट

डॉ अभिषेक रंजन राज्य के पहले और एकमात्र डीएम क्लिनिकल हेमेटोलॉजिस्ट हैं. और हेमेटोलिम्फॉइड मैलिग्नेंसी (ए. एम. एल., मल्टीपल मायलोमा, सी. एल. एल., सी. एम. एल. आदि) जैसे सभी हेमेटोलॉजिकल विकारों के इलाज में विशेषज्ञ हैं, बोन मेरो फेलियर सिंड्रोम जैसे एप्लास्टिक एनीमिया, एनीमिया बोन मेरो प्रत्यारोपण सिक्वल सहित सेल एनीमिया, थैलेसीमिया जैसे- रोगों के विशेषज्ञ है.

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