श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समिति रांची के तत्वाधान में 6 जनवरी से 9 जनवरी 2024 तक पुंदाग स्थित संस्था के निर्माणाधीन श्री कृष्ण प्रणामी (मंगल राधिका सदानंद सेवाधाम आश्रम) मंदिर के प्रांगण में अपराह्न 2:00 बजे से 5:00 बजे तक गुरुदेव स्वामी सदानंद जी महाराज श्रीमद् भागवत कृष्ण कथा का रसपान कराएंगे. स्वामी श्री सदानंद जी के मुखारविंद से यह 2223 वीं एवं रांची की 37 वीं श्रीमद्भागवत कृष्ण कथा होगी.
स्वामी श्री सदानंद जी महाराज 6 जनवरी को कोलकाता से रेल मार्ग द्वारा सुबह 5:30 बजे रांची रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे इनके साथ स्वामी जी के शिष्य गीता पाठ एवं वाणी बितक वाचक श्री रवि कांत जी शास्त्री संगीतज्ञ श्री पवन जी तिवारी श्री विनय जी शुबा कोलकाता से रांची पहुंचेंगे.
स्वामी सदानंद जी महाराज के सानिध्य में 151 जोड़ों का आदर्श सामुहिक विवाह कराया जाएगा
स्वामी श्री सदानंद जी महाराज के द्वारा संचालित एम•आर• एस•श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट रांची एवं स्वामी सदानंद प्रणामी चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि•) दिल्ली शाखा रांची के संयुक्त तत्वाधान में आगामी 7 जनवरी रविवार को प्रातः 8:00 बजे से पुंदाग में निर्माणाधीन श्री कृष्ण प्रणामी सेवा आश्रम (मंदिर) के प्रांगण में स्वामी सदानंद जी महाराज के सानिध्य में 151 जोड़ों का आदर्श सामुहिक विवाह कराया जाएगा. स्वामी श्री सदानंद जी के सानिध्य में अभी तक लगभग 11000 से भी अधिक कन्याओं का विवाह योग्य वर से कराया जा चुका है. उनके द्वारा आदर्श सामूहिक विवाह का कार्यक्रम 2005 से कराया जा रहा है. निर्धन कन्याओं का विवाह गुरु जी के द्वारा भारत में बंगाल मे, राजस्थान, हरियाणा, उड़ीसा, झारखंड तथा नेपाल,भूटान आदि देशों में भी कराए जा रहे हैं. प्रति वर्ष लगभग 500 से 700 कन्याओं का विवाह स्वामी जी के सानिध्य में कराए जाते हैं.
अभी तक 19 आश्रम प्रारंभ हो गए हैं
स्वामी सदानंद जी के सानिध्य में पूरे देश-विदेश में सेवा कार्य के संदर्भ में अभी तक लगभग 27000 पोलियो रोगियों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कराकर केलिपर्सप्रदान किया गया.अनेकों जगह शिक्षण संस्थाएं,अनाथ आश्रम, वृद्धा आश्रम चलाए जा रहे हैं. मन बुद्धि वाले व्यक्तियों के लिए उनके द्वारा सद्गुरु अपना घर नामक आश्रम खोले जा रहे हैं. अभी तक 19 आश्रम प्रारंभ हो गए हैं.
हरियाणा राजस्थान तथा देश के अनेक हिस्सों में इनके द्वारा 110 से अधिक गौशालाओं एवं नन्दीशालाओं का संचालन किया जा रहा है. जिसमें हजारों बिना दूध देने वाली गायों की देखरेख की जाती है.