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Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की आराधना, जानें मां की प्रिय भोग, पूजा विधि और मंत्र!

नई दिल्ली, 25 सितंबर । शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर 2025 से हो चुका है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार के दिन मां स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है. माता पार्वती का स्वरूप सौम्य और ममतामयी है। इनकी पूजा करने से ज्ञान, संतान सुख, शक्ति और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होगी और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

मां स्कंदमाता की पूजा

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में है चंद्रमा दोपहर के 3 बजकर 23 मिनट तक तुला राशि में होगा और वृश्चिक राशि में गोचर कर जाएंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11:48 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:36 बजे तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 10:42 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:12 बजे तक रहेगा।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

पुराणों के अनुसार, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने से मां भगवती के इस रूप को स्कंदमाता नाम दिया गया है. कमल के आसन पर विराजमान पद्मासना देवी मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं और मां अभय मुद्रा में हैं. माता की गोद में छह मुख वाले बाल स्कंद को माता ने धारण किया है. कमल पुष्प लिए माता अति शांत, पवित्र और सकारात्मकता का संचार करने वाली हैं. ममतामयी माता अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उन पर कृपा होती है.

मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व
मां स्कंदमाता की पूजा करने से भक्त को संतान सुख की प्राप्ति होती है. माता अपने भक्त के शत्रुओं का नाश करती हैं. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी मां स्कंदमाता की आराधना करने से भक्त तेजस्वी होते हैं और उनकी कांति बढ़ती है. शास्त्रों में इनकी महिमा बखानी गई है, जो भक्त इनकी भक्ति करता है उसे भवसागर पार करने में सरलता होती है. भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.

मां स्कंदमाता की विधि

मां स्कंदमाता की पूजा विधि-विधान से की जाती है.

इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.

शांति और सकारात्मकता का प्रतीक साफ पीले वस्त्र पहनें.

माता की चौकी को साफ करें और गंगाजल छिड़कें.

मां स्कंदमाता फूल, फल, पान, सुपारी, अक्षत आदि अर्पित करें.

माता को श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जैसे लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन आति.

माता को भोग अर्पित करें.

स्कंदमाता की कथा का पाठ करें, माता के मंत्रों का जाप करें.

और आरती कर पूजा संपन्न करें. आचमन कर पूरे घर में आरती दिखाएं.

अंत में प्रसाद ग्रहण कर संतान और स्वास्थ्य संबंधी बाधाओं को दूर करें.

मां स्कंदमाता का प्रिय भोग
मां स्कंदमाता को पीली मिठाई का भोग अति प्रिय है. ऐसे में माता को बेसन के लड्डू, केसर की खीर के साथ ही अन्य पीली मिठाई भोग के रूप में अर्पित करें. इससे माता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगी.

मां स्कंदमाता के मंत्र
इस मंत्र का जाप करें
“सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।”

मंत्र का जाप कर माता का आशीर्वाद पाएं
“या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

जो भी भक्त मां स्कंदमाता की आराधना पूजा करते हैं उनका मन एकाग्र होता है और मानसिक रूप से व्यक्ति पवित्र होता है. यह पावन दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का रास्ता खोलता और सुख-समृद्धि का अवसर लेकर आता है।

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