Shardiya Navratri 2025 Day 7 Puja : नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें विधि, मंत्र, भोग विधान और आरती
Maa Kalratri Puja Vidhi , Bhog, Aarti And Mantra : नवरात्रि के सातवें दिन का बहुत खास महत्व होता है। इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। विधि-पूर्वक देवी की पूजा करने से भक्तों से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं और अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है। मान्यता है कि मां के इस स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। यही कारण है कि तंत्र-मंत्र करने वाले मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करते हैं। देवी को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा कैसे की जाएगी, मंत्र, भोग विधान और आरती।
मां कालरात्रि का स्वरूप
एक वेधी जपाकरर्णपूरा नग्ना खरास्थित,
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभयुक्तशरीरिणी।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकारी।
देवी का सातवां स्वरूप कालिका यानी काले रंग का है और माता के विशाल केश चारों दिशाओं में फैले हुए हैं। मां कालरात्रि की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। देवी भोलेनाथ के अर्ध्दनारीशवर रुप को दर्शाती हैं। कालरात्रि मां की चार भुजाओं में खड्ग, कांटा और गले में माला सुशोभित है। उनकी आंखों से अग्नि की वर्षा होती है और देवी का एक हाथ ऊपर वर मुद्रा में हैं। वहीं, एक हाथ नीचे अभय मुद्रा में है। मां के तीन नेत्र और सवारी गदर्भ है। मां कालरात्रि को शुभंकरी नाम से भी जाना जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन हमेशा के प्रकार मां कालरात्रि की सुबह और शाम के समय पूजा की जाती है। सबसे पहले पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल कंबल का आसन बिछाएं और उस मां कालरात्रि की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद, आसपास गंगाजल छिड़क दें।
मां के सामने घी का दीपक जलाएं और अक्षत, रोली व गुड़हल के फूल उन्हें अर्पित करें। अगर आप अग्यारी करते हैं तो लौंग, बताशा, गुग्गल, हवन सामग्री आदि जरूर अर्पित करें।
सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं और गुड़ का भोग लगाएं। साथ ही, कपूर जलाकर परिवार के साथ देवी की आरती उतारें।
शाम को मां की आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप भी करें। लाल चंदन से मंत्रों का जाप करना उत्तम माना जाता है। ऐसा संभव न होने पर आप रुद्राक्ष की माला ले सकते हैं।
मां कालरात्रि का भोग
नवरात्रि में सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने का महत्व होता है। आप उन्हें मालपुआ का भोग भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से मां कालरात्रि प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकती हैं।
