दूसरी-तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% पर आई:यह सात तिमाहियों में सबसे धीमी, एक साल पहले 8.1% पर थी

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वित्त वर्ष 2025 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4% पर आ गई है. यह सात तिमाहियों में सबसे धीमी ग्रोथ है. इससे पहले 2023 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ 4.3% रही थी. वहीं एक साल पहले समान तिमाही (Q2FY24) में यह 8.1% थी. पिछली तिमाही यानी, Q1FY25 में ये 6.7% रही थी.

भारत का ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी GVA जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.6% की दर से बढ़ा है. एक साल पहले की समान तिमाही में जीवीए ग्रोथ 7.7% रही थी. वहीं पिछली तिमाही में जीवीए ग्रोथ 6.8% थी. खाने-पीने के सामानों की बढ़ती कीमतों से शहरी खपत प्रभावित हुई है जिसका असर जीडीपी पर दिखा है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी, NSO ने शाम 4 बजे GDP का डेटा रिलीज किया.

वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापती है GDP

GDP यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट देश में एक अवधि के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापती है. इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है. GDP इकोनॉमी की हेल्थ को बताती है.

GDP दो तरह की, रियल और नॉमिनल

GDP दो तरह की होती है. रियल GDP में वस्तुओं और सेवाओं की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है. फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है. वहीं, नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है.

ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी GVA क्या है?

साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है. यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ. इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ.

नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है. अगर आप प्रोडक्शन के मोर्चे पर देखेंगे तो इसको नेशनल अकाउंट्स को बैलेंस करने वाला आइटम पाएंगे.

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