खूंटी : वैसे तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है, लेकिन विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पदस्थापित चिक्त्सिक ही सरकार की योजना को पलिता लगाने में लग गये हैं. इसका खमियाजा गांव के गरीब लोगों को भुगतना पडत़ा है.
सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही की बानगी रविवार को तोरपा के रेफरल अस्पताल में देखने को मिली, जहां अस्पताल के सभी डॉक्टर नदारत थे. बता दें कि इस अस्पताल में चार महिला डॉक्टर सहित कुल दस चिकित्सक पदास्थापित हैं, लेकिन समय पर एक भी डॉक्टर का दर्शन नहीं होता. रविवार को सुबह लगभग दस बजे निचुतपुर गांव निवासी सुनील टोपनो नामक एक मरीज अस्पताल में पहुंचा. गड्ढे में गिर जाने से उसका एक पैर टूट गया था. उसके स्वजन उसे लेकर रेफरल अस्पताल तोरपा पहुंचे, पर वहां कोई डॉक्टर नहीं था.
कुछ ही देर में तीन-चार रोगी और अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर का इंतजार करते रहे. बताया जाता है कि शनिवार की रात डॉक्टर अनिकेत की ड्यूटी थी. सुबह दस बजे से पहले ही डॉ अनिकेत रांची निकल गये. सुबह से डॉ दीप्ति नूतन टोपनो की ड्यूटी थी, लेकिन डॉ दीप्ति अस्पताल आई ही नहीं. बाद में इसकी सूचना खूंटी के सिविल सर्जन डॉ नागेश्वर मांझी को दी गई. जानकारी मिलते ही सिविल सर्जन रेफरल अस्पताल पहुंचे और मरीजों का इलाज किया.
सिविल सर्जन ने किया शोकोज
इमरजेंसी ड्यूटी से गायब रहने वाले रेफरल अस्पाल के पाच चिकित्सकों का वेतन सिविल सर्जन ने काट दिया. अनुपस्थित पाये गये जिन चिकित्सकों का वेतन काटा गया है, उनमें डॉ दीप्ति नूतन टोपनो, डॉ चयन सिन्हा, डॉ अपूर्वा घोष और डॉ अंकिता और डॉ अभय मरांडी शामिल हैं. इन सभी चिकित्सकों को सिविल सर्जन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सिविल सर्जन डॉ मांझी ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि इमरजेंसी में हर दिन कम से कम दो डॉक्टरों की ड्यूटी लगायें, ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो. सिविल सर्जन डॉ मांझी ने कहा कि कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.