रांची: जमीन धोखाधड़ी मामले में चुटिया थाना में प्राथमिकी पर रांची डीसी का विरोध, गृह विभाग को लिखा पत्र
डीसी ने पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को नियमसंगत नहीं बताया, सरकारी कार्यों पर पड़ेगा बुरा असर
रांची, 30 अगस्त : रांची के चुटिया थाना में दर्ज एक जमीन धोखाधड़ी के मामले में गतिरोध पैदा हो गया है। रांची के उपायुक्त (डीसी) मंजूनाथ भजंत्री ने पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को लेकर गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है। डीसी ने पत्र में कहा कि यह प्राथमिकी नियमसंगत नहीं है और इससे सरकारी कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
क्या है मामला?
यह मामला 25 जुलाई को चुटिया थाना में दर्ज हुआ था, जिसमें अरगोड़ा के तीन तत्कालीन अंचल अधिकारियों, दो अंचल निरीक्षकों और राजस्व कर्मियों सहित अन्य लोगों के खिलाफ जमीन के फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया है। शिकायतकर्ता गीता ज्ञानी ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर 83 वर्षीय निसंतान महिला अस्तोरन देवी से धोखाधड़ी की। आरोप है कि फर्जी डीड, वंशावली, पंजी-2 और शपथ पत्र के जरिए यह धोखाधड़ी की गई।
एसआईटी की सिफारिश पर दर्ज हुई प्राथमिकी
यह मामला तब सामने आया जब सीआईडी की संगठित अपराध के आईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले की जांच की। एसआईटी की सिफारिशों के आधार पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में अरविंद कुमार ओझा, रवींद्र कुमार, सुमन कुमार सौरभ सहित कई अन्य आरोपितों के नाम शामिल हैं।
डीसी का पत्र: सरकारी कार्यों पर पड़ेगा असर
डीसी ने गृह विभाग को भेजे गए पत्र में प्रमुख बिंदुओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्राथमिकी से सरकारी कार्यों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और यह भविष्य में सरकारी मामलों को प्रभावित कर सकता है।
डीसी की रिपोर्ट में उठाए गए बिंदु
1. विभागीय अनुमति की आवश्यकता: डीसी ने बताया कि राज्य सेवा के अधिकारियों पर उनके सरकारी कार्यों से संबंधित मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले उनके प्रशासनिक विभाग की अनुमति लेना आवश्यक है।
2. अपील का प्रावधान: डीसी के अनुसार, राजस्व मामलों में अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ अपील या पुनरीक्षण का प्रावधान होता है। शिकायतकर्ता को सीधे प्राथमिकी दर्ज करने से पहले अपील प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था।
3. राजस्व कर्मियों का मनोबल: डीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस प्रकार के मामलों में सीधे प्राथमिकी दर्ज करने से राजस्व कर्मियों का मनोबल घट सकता है। इससे सरकारी निर्देशों का पालन करने में कठिनाई आ सकती है और राजस्व कार्यों के निष्पादन में भी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
यह मामला अब प्रशासनिक और कानूनी स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि डीसी का मानना है कि इस तरह के कदम से न केवल अधिकारियों के कार्यों पर असर पड़ेगा, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
