बालासोर में 36 घंटे से जमे हैं रेल मंत्री, रेल हादसे के प्राथमिक कारणों में इंटरलॉकिंग सिस्टम को बताया गया जिम्मेदार

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नयी दिल्ली/भुवनेश्वर : ओडिशा के बालासोर जिले में हुए रेल हादसे के प्राथमिक कारणों का पता लगाया जा चुका है. यह रेल हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सिग्नलिंग से जुड़ा हो सकता है. रेल मंत्रालय ने कहा है कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त की विस्तृत रिपोर्ट आने पर ही इसपर कुछ कहा जा सकता है.

हादसे के कारणों और जिम्मेदार लोगों की हो चुकी है पहचान

दुर्घटनास्थल पर पिछले 36 घंटे से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि ट्रेन हादसे के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को पहचाना जा चुका है. हालांकि अभी इसपर जांच जारी है और रेलवे सुरक्षा आयुक्त विस्तृत जांच कर रहे हैं और वे इसकी विस्तार से जानकारी देंगे. उन्होंने कहा कि यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव की वजह से हुआ है.

रेलवे ट्रैक को ठीक करने का काम जारी

दूसरी ओर बचाव कार्य पूरा होने के बाद अब रेलवे ट्रैक को ठीक करने का काम जारी है. हादसे की वजह से रेलवे ट्रैक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है. इसके चलते कई ट्रेनों को रद्द किया गया या उनके रूट में बदलाव किया गया है. रेल मंत्री ने कहा है कि पहले जैसी स्थिति लाने में बुधवार तक का समय लग सकता है. रेल मंत्री ने एक ट्वीट कर बताया कि दोपहर 12 बजे के आसपास डाउन लाइन को ठीक कर लिया गया है.

रेलवे बोर्ड ने कहा- सिग्नलिंग से जुड़ी कोई दिक्कत थी, विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार

इसी संबंध में आज रेलवे बोर्ड की ओर से भी पत्रकार वार्ता की गयी. इसमें हादसे के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी. बोर्ड का कहना है कि जल्द ही हादसों के कारणों की विस्तार से जानकारी दी जाएगी. रेलवे बोर्ड की ऑपरेशनल एंड बिजनेस डेवलपमेंट सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रथम दृष्टया यह पता चला है कि सिग्नलिंग से जुड़ी कोई दिक्कत थी. हमें रेलवे सुरक्षा आयुक्त की विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.

हादसा केवल कोरोमंडल ट्रेन से ही जुड़ा हुआ कहना गलत

जया वर्मा ने कहा कि हादसा केवल कोरोमंडल ट्रेन से ही जुड़ा हुआ है. ऐसा कहना कि तीन ट्रेनें आपस में टकरा गईं, गलत है. उन्होंने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लौह अयस्क ले जाने वाली एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गयी. मालगाड़ी के कारण सारा का सारा टकराव का प्रभाव यात्री ट्रेन पर आया जिसके चलते उसके कई डब्बे बेपटरी हो गए.

दो डब्बे इस ट्रेन के डिब्बों के पलटने के चलते क्षतिग्रस्त हुए

वहीं दूसरी तरफ से आ रही ट्रेन के पिछले दो डब्बे इस ट्रेन के डिब्बों के पलटने के चलते क्षतिग्रस्त हुए. उन्होंने कहा कि दोनों गाड़ियां अपनी अधिकतम सीमा के भीतर थीं. कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे के समय 128 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल रही थी.

पीड़ितों को मुआवजा और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान किया जा रहा

उन्होंने बताया कि रेलवे की ओर से यात्रियों के लिए 139 हेल्पलाइन नंबर मौजूद है. हादसा पीड़ितों को मुआवजा और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान किया जा रहा है. साथ ही पीड़ितों के परिजनों के लिए भी वहां तक पहुंचने, ठहरने और अन्य तरह की व्यवस्थाएं भी रेलवे की ओर से की जा रहे हैं.

रेलवे ट्रैक को ठीक होने में समय लगेगा

रेस्टोरेशन की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हादसे की वजह से रेलवे ट्रैक बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है. इसे ठीक होने में समय लगेगा. आशा है कि शाम तक एक रेल लाइन शुरू कर दी जाए ताकि गाड़ियों का वहां से आना-जाना शुरू हो सके. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल दुर्घटनास्थल का दौरा करने के बाद आज सुबह रेल मंत्री से टेलीफोन पर बात की. उन्होंने बचाव और रेस्टोरेशन कार्य की जानकारी ली.

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