पूजा उपासना करने से सुख-समृद्धि धन व ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति: संजय सर्राफ
रांची : विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है राधा अष्टमी पर्व 11 सितंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा. हिंदू सनातन धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधारानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. यह पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद आता है. इस वर्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर होगी वही इस तिथि का समापन 11 सितंबर को रात के 11 बजकर 46 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा.
राधा अष्टमी पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही व्रत रखा जाता है साथ ही इस दिन राधा रानी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन राधा रानी की पूजा उपासना करने से व्यक्ति को सुख समृद्धि धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. विवाहित जीवन खुशहाल रहता है. राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा अर्चना एवं विशेष चीजों मे मालपुए व रबड़ी का भोग लगाई जाती है. घर में सुख समृद्धि का आगमन होता है और गृह क्लेश की समस्या से मुक्ति मिलती है. यह पर्व राधा रानी को समर्पित है इस खास दिन पर बरसाना समेत देश भर मे खास उत्साह देखने को मिलता है.
श्री राधा रानी के मंदिरों को सजाया जाता है. इस अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्म बरसाना में हुआ था इसलिए इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस संसार में जब-जब प्रेम की बात होती है तब तक राधा कृष्ण की जोड़ी को याद किया जाता है इनके बीच आध्यात्मिक प्रेम था. जिनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथो में आज भी किया जाता है हिंदू धर्म में राधा और कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना गया है और उनकी पूजा करने के लिए भाद्रपद सबसे खास माना जाता है. जहां भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष को अष्टमी को जन्माष्टमी होती है वहीं इसी माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है इस दिन राधा कृष्ण की जोड़ी पूजा करने से विवाहित जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता बनी रहती है.