Shiw Mahima

प्राणवाक्षर सदाशिव ही पूर्ण ब्रह्म हैं : स्वामी परिपूर्णानंद

राँची

रांची :  अग्रसेन पथ स्थित श्री श्याम मन्दिर, रांची भव्य दरबार में श्री श्याम मण्डल द्वारा आयोजित महाशिवपुराण व्याख्यान के तीसरे दिन निर्धारित समय से पहले ही भक्तों की अपार भीड़ संपूर्ण वातावरण को शिव महामंत्र का जाप कर शिवमय बना दिया तथा पूरे मन्दिर परिसर भोले शंकर के जयकारों से गूंज रहा था.

महाशिवरात्रि शिव के दिव्य स्वरूप का प्राकट्य दिवस

सांय 4 बजे स्वामी परिपूर्णानंद जी के व्यास पीठ का पारम्परिक पूजन वन्दन के बाद स्वामी जी ने व्याख्यान को आगे बढ़ते हुए कहा की प्राणवाक्षर सदाशिव ही पूर्ण ब्रह्म हैं- महाशिवरात्रि शिव के दिव्य स्वरूप का प्राकट्य दिवस है. अतः महाशिवरात्रि के शुभ दिन शिवलिंग का श्रृंगार- पूजन- वन्दन अत्यन्त श्रेष्ठकारी है.

शिव ही एकानन हैं – शिव ही पंचानन हैं

स्वामी जी कहते हैं- शिव ही एकानन हैं – शिव ही पंचानन हैं और शिव ही गुरुपुराण हैं. संसार में अत्यंत सुलभ व अविनाशी देव शिव ही हैं अतः ॐ नमः शिवाय दिव्य मंत्र का निरंतर जाप अत्यन्त फलदाई है साथ ही भक्ति ज्ञान वैराग्य इन तीनों की प्राप्ति से ही जीवन रसमय ही सकता है तथा सत्संग ही प्रभु दर्शन का मार्ग है साथ ही शिवलिंग स्वरूप निराकर है जिसपर शिव अनुग्रह करते हैं वो  मोक्ष को प्राप्त करता है.

शिव जी पापों से मुक्ति देकर सभी बंधनों से मुक्त करते हैं

स्वामी जी ने आगे व्याख्यान में बताया कि तीर्थ क्षेत्र में दान करने वालों को शिव जी पापों से मुक्ति देकर सभी बंधनों से मुक्त करते हैं- शिवजी के आंख से प्रगट रुद्राक्ष शिव जी को अत्यंत प्रिय है. महादेव श्रृष्टि का उत्पन करता – पालन करता एवम संघहार करता हैं – उनका स्वरूप निर्विकार है – ईश्वर सबमें अतन्र्यामी बनकर विद्यमान हैं. ईश्वर को प्रपंच,  अहंकार पसंद नही है – ये सब छोड़ कर जी उनकी शरण में जाते हैं उन्हें भक्ति पुरस्कार में मिलती है.

ज्योति बजाज व उनके परिवार ने महाआरती निवेदित की

आज के महाशिवपुराण के व्याख्यान समाप्ति के बाद ज्योति बजाज व उनके परिवार के द्वारा शिवपुराण की महाआरती निवेदित की गयी साथ ही प्रसाद वितरण के साथ आज के तृतीय दिवस का कार्यक्रम का समापन किया गया.

कार्यक्रम को सफल बनाया

आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में विजय शंकर साबू, ज्ञान प्रकाश बागला, अमित जलान, गौरव शर्मा, सुमित महलका, राकेश सारस्वत, महेश शर्मा, सुनील मोदी, प्रदीप अग्रवाल, विनोद शर्मा का योगदान रहा.

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