संथाल में लगातार घट रही जनजातियों की आबादी, एसआईटी गठित हो : बाबूलाल मरांडी

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दुमका : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी रविवार को संथाल परगना के दौरे पर उप राजधानी दुमका पहुंचे. उन्होंने हुल दिवस पर हुल क्रांति के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. मरांडी ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दो वर्ष पूर्व ही संथाल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजो के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजाति भाई-बहनों ने संघर्ष किया और बलिदान दिए, जो हुल के नाम से प्रसिद्ध है.

मरांडी ने कहा कि यदि इसी प्रकार जनजाति समाज की आबादी घटती रही तो आजादी के 100 साल और हुल आंदोलन के लगभग 200 साल पूरा होते-होते संथाल जनजाति समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.उन्होंने कहा कि संथाल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिला की स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही.जनजातियों के जल जंगल जमीन की सुरक्षा के कानून तो मौजूद हैं लेकिन उनका अस्तित्व पूरी तरह खतरे में है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया कि इसकी जमीनी स्तर पर गहराई से जांच होनी चाहिए. साथ ही राज्य सरकार से इस संबध में एसआईटी गठित करने की मांग की.

मरांडी ने आदिवासियों की तेज गति से घटती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 1951 की जनगणना से लेकर 2011 की जनगणना के बीच आबादी का विश्लेषण करें तो भयावह तथ्य उजागर होते हैं. 1951 में आदिवासियों की आबादी 44.69 प्रतिशत थी, जो 2011 में 16 प्रतिशत घटकर 28.11 प्रतिशत हो गई जबकि मुस्लिम आबादी इस बीच 9.44 प्रतिशत से बढ़कर 22.73 प्रतिशत हो गई. शेष समुदाय की आबादी 43 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत ही हुई.

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