गोरखपुर : पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में कहा कि गीताप्रेस विकास और विरासत की धरोहर है. गीताप्रेस एक जीवंत आस्था है. इनके नाम और काम दोनों में गीता है. जहां गीता है वहां कृष्ण हैं. जहां कृष्ण हैं, वहां करुणा है. जहां वासुदेव हैं वहीं सबकुछ है.
गीताप्रेस को ऐतिहासिक अवसर पर गांधी शांति पुरस्कार दिया गया
गीताप्रेस की आध्यात्मिक ज्योति से मानव जाति का उत्थान हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक अवसर पर गीताप्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया गया है. गांधी जी का इससे बहुत लगाव था. उन्होंने ही यह सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापा जाय. इसका आज भी ध्यान रखा जा रहा है.
गीताप्रेस भारत को जोड़ती है, हर कोने तक इसकी पहुंच
पीएम ने कहा कि करोड़ों में छपने वाली यहां की पुस्तकें न सिर्फ लागत से आधे मूल्य में मिलती हैं, बल्कि घर पहुंचाई जा रहीं हैं. उन्होंने कहा कि गीताप्रेस भारत को जोड़ती है. देश के हर कोने तक इसकी पहुंच है. यह भारतीय विचारों के मूल भावना को जन- जन तक पहुंचाने वाली संस्था है.
गीताप्रेस ने गुलामी के समय में समाज को जगाया
पीएम ने कहा कि गीताप्रेस, एक भारत श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा देती है. इस प्रकार का योग केवल संयोग नहीं है. उन्होंने कहा कि गीताप्रेस की स्थापना ने गुलामी के समय में समाज को जगाया. लुप्तप्राय ज्ञान और विरासत को बचाने को प्रेरित किया. मूल्यों और आदर्शों के सूखते स्रोतों को बचाया. गीता का श्लोक ”यदा यदा हि धर्मस्य” को पढ़कर उसके मायने बताये.
गीताप्रेस ने युवाओं को भारतीय मूल्यों को समझाया
पीएम ने कहा कि गीताप्रेस ने अपने प्रयासों से युवाओं को भारतीय मूल्यों को समझाया और बताया है. गीताप्रेस ने सामाजिक मूल्यों को हमेशा स्थापित किया है. लोगों को कर्मपथ का रास्ता दिखाया है. भारतीय जीवन शैली से परिचित कराने की दिशा में भी गीताप्रेस ने महती भूमिका निभाई है.
अब गुलामी के प्रतीकों को भुलाने का समय
यह हमें बताता है कि अब गुलामी के प्रतीकों को भुलाने का समय है. इस दौरान प्रधानमंत्री ने आधुनिक और सांस्कृतिक भारत की चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत के संतों, मनीषियों का मार्गदर्शन हमें सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करता रहेगा.