प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आदिवासी समाज के महान नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. दोनों ने बिरसा मुंडा के देश के लिए किये गये त्याग को याद किया.
पीएम संदेश में कहा,“ विदेशी हुकूमत के खिलाफ अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया
पीएम मोदी ने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शुक्रवार को ट्विटर पर एक संदेश में कहा,“ भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि- कोटि नमन. उन्होंने विदेशी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए उनके समर्पण और सेवाभाव को कृतज्ञ राष्ट्र सदैव याद रखेगा. ”
शाह अपने संदेश में लिखा- ‘धरती आबा’ ने मजबूत आंदोलन की नींव रखी
आदिवासी समाज के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए बिरसा मुंडा के अद्भुत संघर्ष का समरण करते हुए श्री शाह अपने संदेश में लिखा, ‘विदेशी हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता का बिगुल फूंकने वाले ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा जी ने जनजातीय अस्मिता व संस्कृति की रक्षा के लिए एक मजबूत आंदोलन की नींव रखी. जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए अद्वितीय संघर्ष करने वाले ऐसे वीर को उनकी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन.”
खूंटी जिले के उलीहातु के थे बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलीहातु गाँव सुगना मुंडा और करमी मुंडा दम्पति के घर हुआ था. वह मुंडा जनजाति के गरीब परिवार के थे. साल्गा गाँव में प्रारंभिक पढाई के बाद इन्होंने चाईबासा जीईएल चर्च (गोस्नर एवं जिलकल लुथार) विद्यालय से आगे की शिक्षा ग्रहण की.
1894 को लगान माफी के लिये आन्दोलन किया
बिरसा मुंडा ने एक अक्टूबर 1894 को सभी मुंडाओं को एकत्र कर अंग्रेजों से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया, जिसे ‘मुंडा विद्रोह’ या ‘उलगुलान’ कहा जाता है. बिरसा ने अपनी अन्तिम साँस नौ जून 1900 को ली. उन्हें अंग्रेजों ने जहर दे दिया था.