रांची : ईडी के विशेष न्यायाधीश दिनेश राय की अदालत ने मनी लांड्रिंग के आरोप में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के सहयोगी निवेश कुमार से पूछताछ के लिए ईडी को पांच दिनों की रिमांड की मंजूरी दे दी है. मामले में गुरुवार को ईडी की रिमांड पिटीशन पर सुनवाई हुई. इसके बाद अदालत ने रिमांड की मंजूरी दी.
ईडी ने कोर्ट से पांच दिनों की रिमांड मांगी थी
इससे पहले बुधवार को ईडी ने कोर्ट से पांच दिनों की रिमांड मांगी थी. इस दौरान निवेश के अधिवक्ता वीरेंद्र प्रताप ने पांच दिनों की रिमांड मांगे जाने का विरोध किया जबकि ईडी के विशेष लोक अभियोजक आतिश कुमार ने कहा कि निवेश से पूछताछ जरूरी है. इसलिए पांच दिनों की रिमांड की मंजूरी दी जानी चाहिए.
इससे पूर्व गत आठ जनवरी को ईडी ने कोर्ट के माध्यम से ईडी ने निवेश को मेमो ऑफ अरेस्टिंग दिया था. इसके बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार (जेल) भेज दिया था. एनआईए ने पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) उग्रवादी संगठन के खिलाफ झारखंड सहित चार राज्यों में 15 दिसंबर को छापेमारी की थी. इस दौरान एनआईए ने दो आरोपितों निवेश कुमार और सोनू पंडित उर्फ रमण को गिरफ्तार किया था.
एनआईए ने पीएलएफआई उग्रवादी संगठन से जुड़े 23 स्थानों की तलाशी ली थी
एनआईए ने पीएलएफआई उग्रवादी संगठन से जुड़े झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और नई दिल्ली में कुल 23 स्थानों की तलाशी ली थी. इनमें झारखंड में 19 स्थान (गुमला, रांची, खूंटी, सिमडेगा, पलामू और पश्चिमी सिंहभूम जिले), बिहार (पटना जिला) और मध्य प्रदेश (सिद्धि जिले) में एक-एक स्थान और नई दिल्ली में दो स्थान शामिल हैं.
छापेमारी के दौरान तीन लाख रुपये समेत अन्य सामान बरामद किया गये थे
एनआईए ने जिन आरोपितों और संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई की, वे सभी झारखंड में पीएलएफआई के कैडर और समर्थक थे. वे हिंसक वारदातों और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश में शामिल थे. छापेमारी के दौरान दो पिस्तौल, कारतूस (7.86 मिमी) तीन लाख रुपये समेत अन्य सामान बरामद किया गये थे.
एनआईए की अब तक की जांच से पता चला है कि पीएलएफआई के कैडर झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विभिन्न कोयला व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, रेलवे ठेकेदारों और व्यापारियों से जबरन वसूली के माध्यम से धन जुटाने में शामिल थे.