भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का निधन हो गया है. वे टाटा संस के मानद चेयरमैन थे. उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली. उन्हें बुधवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 7 अक्टूबर को भी उन्हें अस्पताल जाने की खबर आई थी, लेकिन उन्होंने पोस्ट करके कहा था कि वे ठीक हैं और चिंता की कोई बात नहीं है.
पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा की अगुआई में ही टाटा ग्रुप ने देश की सबसे सस्ती कार लॉन्च की, तो हाल ही में कर्ज में फंसी एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ की कैश डील में खरीदा था. बिजनेस में बेहद कामयाब रतन टाटा निजी जिंदगी में बेहद सादगी पसंद थे और मुंबई में अपने छोटे से फ्लैट में रहते थे.
माता-पिता बचपन में अलग हुए, दादी ने परवरिश की
28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के परपोते थे. उनका परिवार पारसी धर्म से है. उनके माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे और दादी ने उनकी परवरिश की थी. 1991 में उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था.
रतन टाटा की चार बार शादी होते-होते रह गई. टाटा बताते हैं कि एक बार तो शादी हो ही गई होती, जब वो अमेरिका में थे. उसी समय उनकी दादी ने उन्हें फोन करके बुला लिया. उसी समय भारत-चीन युद्ध छिड़ जाने की वजह से वे अमेरिका नहीं जा के. कुछ समय बाद उस लड़की ने किसी और से शादी कर ली.
21 साल चेयरमैन रहे, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ा
1962 में फैमिली बिजनेस जॉइन किया था. शुरुआत में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया. इसके बाद वे मैनेजमेंट पोजीशन्स पर लगातार आगे बढ़े. 1991 में, जे.आर.डी. टाटा ने पद छोड़ दिया और ग्रुप की कमान रतन टाटा को मिली.
2012 में 75 वर्ष के होने पर, टाटा ने एग्जीक्यूटिव फंक्शन छोड़ दिए. उनके 21 वर्षों के दौरान, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ गया. इसमें अधिकांश रेवेन्यू जगुआर-लैंडरोवर व्हीकल्स और टेटली जैसे पॉपुलर टाटा उत्पादों की विदेशों में बिक्री से आया.
चेयरमैन का पद छोड़ने के बाद उन्होंने 44 साल के साइरस मिस्त्री को उत्तराधिकारी नियुक्त किया. उनका परिवार ग्रुप में सबसे बड़ा इंडिविजुअल शेयरहोल्डर था. हालांकि, अगले कुछ वर्षों में, मिस्त्री और टाटा के बीच तनाव बढ़ गया.
अक्टूबर 2016 में, चार साल से भी कम समय के बाद, मिस्त्री को रतन टाटा के पूर्ण समर्थन के साथ टाटा के बोर्ड से बाहर कर दिया गया. फरवरी 2017 में नए उत्तराधिकारी का नाम घोषित होने तक टाटा ने चेयरमैन के रूप में अपना पद वापस ले लिया.
कम बात करते थे, बुक लवर और कारों के शौकीन
टाटा को बचपन से ही कम बातचीत पसंद थी. वे केवल औपचारिक और जरूरी बात ही करते थे. वे बुक लवर थे और उन्हें सक्सेस स्टोरीज पढ़ना बहुत पसंद था. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद वे अपने इस शौक को समय दे रहे हैं.
वे 60-70 के दशक के गाने सुनना पसंद करते थे. वे कहते थे, ‘मुझे बड़ी संतुष्टि होगी अगर मैं शास्त्रीय संगीत बजा पाऊं. मुझे शॉपेन पसंद है. सिम्फनी भी अच्छी लगती है. बिथोवन, चेकोस्की पसंद हैं, पर मुझे लगता है कि काश मैं खुद इन्हें पियानो पर बजा सकता.’
कारों के बारे में पूछने पर टाटा ने बताया था कि मुझे कारों से बहुत लगाव है. उन्होंने कहा था ‘मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है. खासतौर पर उनकी स्टाइलिंग और उनके मैकेनिज्म के प्रति गहरा रुझान है. इसलिए मैं उन्हें खरीदता हूं, ताकि उन्हें पढ़ सकूं.’