पुरानी संसद अब बनी संविधान सदन, नई संसद का पहला दिन रहा महिला आरक्षण को समर्पित

राष्ट्रीय

नई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नई संसद से पहले कार्यदिवस पर पूर्व संसद का नाम संविधान सदन रखे जाने की घोषणा की. इससे पहले प्रधानमंत्री ने पुरानी संसद के केन्द्रीय कक्ष में लोकसभा अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति से ऐसा करने का आग्रह किया था.

पिछली इमारत को अब संविधान सदन के तौर पर जाना जाएगा

संसद के इतिहास में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा और नई इमारत में संसद के दोनों सदनों की पहली कार्यवाही संचालित की गई. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अब इसी नई इमारत को भारत की संसद के तौर पर जाना जाएगा. पिछली इमारत को अब संविधान सदन के तौर पर जाना जाएगा.

संसद के भीतरी प्रांगण में एक फोटो सेशन आयोजित किया गया

आज सुबह संसद के भीतरी प्रांगण में एक फोटो सेशन आयोजित किया गया. इसके बाद केन्द्रीय कक्ष (वर्तमान में संविधान सदन के केन्द्रीय कक्ष) में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के नेता पीयूष गोयल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी मंच पर मौजूद रहे. इन्होंने अपना संबोधन दिया. इसके अलावा वरिष्ठतम सदस्य के तौर पर भाजपा नेत्री मेनका गांधी का भी उद्बोधन हुआ.

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश

विधायिका में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधानों वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक, 2023 लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया. विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करते हुए कहा कि संसद के नव निर्मित भवन में पहले दिन की कार्यवाही के ऐतिहासक दिन को यह विधेयक प्रस्तुत किया जा रहा है.

कानून बनने के बाद महिला सांसदों की संख्या 181 होगी

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त होगा और आरक्षण के बाद लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़कर कम से कम 181 हो जायेगी. सदन में अभी 82 महिला सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि विधेयक 33 प्रतिशत महिला आरक्षण में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का भी प्रावधान होगा.

कानून का नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक होगा

श्री मेघवाल ने कहा कि विधेयक के प्रावधान के अनुसार महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 15 वर्ष तक आरक्षण रहेगा. इसके बाद तत्कालीन सरकार चाहेगी तो इसकी अवधि बढ़ाने के लिए संसद में विधेयक फिर लायेगी. इस कानून का नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक होगा.

श्री मेघवाल जैसे ही विधेयक पेश करने के लिए खड़े हुए, विपक्षी सदस्यों ने इसे आज की कार्य सूची में न होने का मुद्दा उठाते हुए शोरगुल करने लगे. इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि पूरक कार्यसूची लोकसभा की साइट पर पहले ही अपलोड कर दी गयी थी. इससे पहले सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपना वक्तव्य रखते हुए दावा किया था कि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका था. इसका सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विरोध करते हुए कहा कि श्री चौधरी का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है. गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यदि श्री चौधरी का वक्तव्य सही तो वह इसके दस्तावेज प्रस्तुत करें. इसके बाद श्री मेघवाल ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि महिला आरक्षण विधेयक 15 वीं लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन पारित न होने से 15 वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होते ही वह विधेयक लैप्स हो गया था.

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