डुमरी उपचुनावों में एनडीए सिर्फ एक बार जीती, महतो बिरादरी का रहा है दबदबा

राँची

रांची : डुमरी विधानसभा सीट पर झारखंड में छठवां उपचुनाव होने वाला है. अब तक हुए पांच उप चुनावों में एनडीए को सिर्फ एक बार पर कामयाबी मिली. यहां से एनडीए की सहयोगी आजसू पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. बाकी चार उप चुनावों में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन यूपीए की विजय मिली. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार बाजी कौन मारता है.

जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी हैं झामुमो उम्मीदवार

अबकी बार आईएनडीआईए ने झामुमो ने दिवंगत विधायक जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी उम्मीदवार घोषित किया है जबकि एनडीए ने यशोदा देवी को मैदान में उतारा है. डुमरी विधानसभा क्षेत्र कुर्मी (महतो) बहुल है. इस सीट पर पिछले 10 चुनाव से कुर्मी (महतो) जाति का ही कब्जा है.

अब तक सभी कुर्मी ही विधायक बने हैं

वर्ष 1977 से लेकर 2019 तक यहां जितने भी विधायक बने हैं वे सभी कुर्मी ही रहे हैं. इस बार भी प्रमुख प्रतिद्वंदी कुर्मी जाति से ही हैं. हालांकि, 1977 से पहले ऐसी स्थिति नहीं थी. यहां जब पहली दफा 1951-52 में चुनाव हुआ था. उस वक्त यह विधानसभा गिरिडीह सह डुमरी के नाम से जाना जाता था. इस चुनाव में दो विधायक चुने गए थे.

1951-52 के चुनाव में कृष्ण बल्लभ सहाय विधायक बने थे

1951-52 के चुनाव में यहां जातीय बंधन को तोड़कर लक्ष्मण मांझी और कायस्थ जाति से आनेवाले कृष्ण बल्लभ सहाय (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री) विधायक बने थे. 1957 में यह क्षेत्र गिरिडीह (अनुसूचित जाती) में चला गया और फिर दो विधायक चुने गए. एक हेमलाल प्रग्नेत तो दूसरे थे कामख्या नारायण सिंह.

1962 में हेमलाल प्रग्नेत विधायक बने

1962 में डुमरी (अनुसूचित जाती) विधानसभा बना और उस वक्त हेमलाल प्रग्नेत विधायक बने. 1967 में यह सीट सामान्य हो गयी और एस मंजरी विधायक निर्वाचित हुई. 1969 में मध्यावधि चुनाव हुआ और कैलाशपति सिंह विधायक बने. 1972 के चुनाव में कांग्रेस के मुरली भगत विजयी रहे.

1977 से डुमरी विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी का परचम

1977 में डुमरी विधानसभा क्षेत्र में गिरिडीह का डुमरी प्रखंड के अलावा बोकारो का नावाडीह प्रखंड शामिल हो गया. 1977 के चुनाव में यहां के विधायक बने लालचंद महतो (जनता पार्टी). फिर 1980 और 85 में लगातार दो बार झामुमो की टिकट पर शिवा महतो विधायक बने. 1990 में एक बार फिर से लालचंद महतो जीते. इस बार लालचंद जनता दल की टिकट पर विजयी हुए. 1995 के चुनाव में झामुमो के शिवा महतो में तीसरी दफा जीत दर्ज की. वर्ष 2000 के चुनाव में लालचंद महतो जनता दल यू से खड़े हुए और जीत दर्ज की.

जगरनाथ महतो 2000 के चुनाव में मैदान में उतरे थे

जगरनाथ महतो वर्ष 2000 के चुनाव में ही पहली बार मैदान में उतरे. इस चुनाव में जगरनाथ समता पार्टी के उम्मीदवार बने. हालांकि, जनता दलयू के उम्मीदवार लालचंद महतो में उन्हें 6725 मतों से हरा दिया था. इस चुनाव में लालचंद को 28087 मत मिले थे जबकि जगरनाथ महतो को 21362 मत प्राप्त हुआ था.

2005 के चुनाव में झामुमो के प्रत्याशी बने

इसके बाद 2005 के चुनाव में जगरनाथ महतो झामुमो के प्रत्याशी बने. दूसरे ही चुनाव में जगरनाथ ने राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार लालचंद महतो को 18010 मतों से करारी शिकस्त दी. इस चुनाव में जगरनाथ को 41784 मत तो लालचंद को 23774 मत प्राप्त हुआ.

2009 में जगरनाथ महतो ने दामोदर प्रसाद महतो को हराया

इसी तरह 2009 के चुनाव में झामुमो से एक बार फिर जगरनाथ महतो उम्मीदवार बने. इस चुनाव में जगरनाथ ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनता दल यू के दामोदर प्रसाद महतो को 13668 मतों से पराजित किया. इस चुनाव में जगरनाथ को 33960 तो दामोदर को 20292 मत मिले. लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुके जगरनाथ महतो को लगातार तीसरी दफा झारखंड मुक्ति मोर्चा ने डुमरी से अपना उम्मीदवार बनाया.

2014 के चुनाव में जगरनाथ को भारी मत मिला

इस बार 2014 के चुनाव में जगरनाथ को भारी मत मिला. इस चुनाव में 77984 लोगों ने जगरनाथ महतो को वोट दिया. जगरनाथ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के लालचंद महतो को 32481 मतों से पराजित कर दिया. हैट्रिक लगा चुके जगरनाथ महतो वर्ष 2019 के चुनाव में एक बार फिर से झामुमो के प्रत्याशी बने.

2019 के चुनाव में जगरनाथ ने यशोदा देवी को हराया था

इस चुनाव में उन्हें 71128 मत मिले जो 2014 के चुनाव से कुछ कम था. हालांकि, इस चुनाव में जीत का अंतर बढ़ गया. 2019 के चुनाव में जगरनाथ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आजसू की यशोदा देवी को 34288 मतों से हराया. 2019 के चुनाव में भाजपा की तरफ से खड़े प्रदीप साहू को 36013 मत मिला था.

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