Navratri 8th Day Puja: नवरात्रि के 8वें दिन इस मंत्र से करें मां महागौरी को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, आरती और प्रिय भोग
Navratri 8th Day Maa Mahagauri Aarti and puja Vidhi: हिंदू धर्म में नवरात्रि को सबसे पवित्र दिनों में गिना जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इन नौ रूपों में अष्टमी तिथि मां महागौरी को समर्पित होती है। मां महागौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि के 8वें दिन मां महागौरी की पूजा कैसे करें, क्या है मां को प्रसन्न करने का मंत्र और मां को क्या भोग पसंद है।
मां महागौरी का स्वरूप
मां महागौरी अत्यंत सौम्य और कोमल स्वभाव की देवी हैं। मां श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनका रंग गोरा है, इसलिए उन्हें महागौरी कहा जाता है। चार भुजाओं से सुशोभित माता के एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरु, तीसरे हाथ में अभय मुद्रा और चौथे हाथ में वरमुद्रा रहती है। उनके उज्ज्वल स्वरूप को देखकर भक्त से भर जाता है। मां को श्वेतांबरधरा और अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है।
मां महागौरी का प्रिय भोग
नवरात्रि के नौ दिनों में मां के अलग-अलग स्वरूप को अलग-अलग भोग लगाया जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी को नारियल से बनी मिठाइयों का बोग लगाया जाता है। उन्हें नारियल बर्फी या लड्डू का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही हलवा और काले चने का भोग लगाना भी अतयंत शुभ माना जाता है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करके भोजन और उपहार देने की परंपरा भी है।
मां महागौरी की पूजा विधि
अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद मां को सफेद रंग के वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद मां को सफेद फूल अर्पित करें। इसके साथ ही कुमकुम से तिलक करें।
इन सब के बाद मां महागौरी के मंत्रों के जप करें।
मां को नारियर से बनी मिठाई, हलवे और काले चने का भोग लगाएं।
इसके पश्चात अंत में मां महागौरी की आरती उतारें।
मां प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जप करें
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
