Father Sushil

पुण्य बृहस्पतिवार- तीन महान घटनाओं का साक्षी : फादर सुशील टोप्पो

विदेश

संत थॉमस पोंतिफिकल यूनिवर्सिटी, रोम

पुण्य बृहस्पतिवार को हम ख्रीस्त विश्वासी प्रभु येसु के अंतिम ब्यालू का स्मरण समारोह मनाते है. आज की धर्मविधि में मुख्य रूप से तीन महान घटनाओं को याद करते हैं जिसे येसु ने अपनी मृत्यु के एक दिन पहले अंतिम ब्यारी में किया था. आज की प्रार्थनाएं और धर्मविधियाँ इन्ही घटनाओं पर केंद्रित हैं और ह्रदय को गहराई से छूती है.

पहली घटना- चेलों के पैर धोकर एक सच्चे गुरु का उदहारण दिया

येसु ने अपने चेलों के पैर धोकर एक सच्चे गुरु का उदहारण दिया. इस घटना के मध्यम से येसु ने भातप्रेम, नम्रता, और सेवा- भाव अर्थात मानव की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा की शिक्षा दी.

 दूसरी घटना– शरीर और रक्त को रोटी और दाखरस के रूप में दिया

येसु ने माता कलीसिया और उनके विश्वासियो के लिए अपने शरीर और रक्त को रोटी और दाखरस के रूप में दिया जिसे हर एक पुरोहित हर एक दिन संपन करता है विशेषकर प्रत्येक रविवार को. इसलिए आज के दिन को पवित्र मिस्सा अथवा पवित्र यूखारिस्त का जन्म दिवस से भी जाना जाता है.

येसु ने मृत्यु की पूर्वसंध्या पर मिस्सा बलिदान संस्कार स्थापना की

येसु ख्रीस्त ने अपनी मृत्यु की पूर्वसंध्या पर मिस्सा बलिदान संस्कार की स्थापना की.  यह पवित्र यूखारिस्त महान संस्कार से भी जाना जाता है क्योंकि यह सभो सातो संस्कारो में महान हैं.  पवित्र यूखारिस्त के दोवारा ही हर एक ख्रीस्तीय का आध्यात्मिक जीवन परिपोषण होता है. इस महान संस्कार के बिना माता कलीसिया के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है.

तीसरी घटना– पवित्र पुरोहिताई की स्थापना की

प्रभु ने अपने शिष्यों अपनी स्मृति में ऐसा ही करते रहने की आज्ञा देकर पवित्र पुरोहिताई की स्थापना की. माता कलीसिया और उनके विश्वासी इस संस्कार के लिए प्रभु का धन्यवाद करते है और फादरों अथवा पुरोहितों के लिए विशेष प्रार्थना की जाती है, ताकि वे येसु और गुरु के समान ही जीवन भर सच्चे पुरोहित बने रहे.

आज के समारोह में आनंद और दुःख दोनों का मिश्रण

अत: आज के समारोह में आनंद और दुःख दोनों का मिश्रण है. यह आनंद का समय है क्योंकि प्रभु ने पवित्र युखारिस्त की स्थापना की. इस महान संस्कार के माध्यम से येसु खुद को मानव जाति को दिया और इसके दोवारा प्रभु ख्रीस्त की उपस्थिति सदा हमारे साथ है.

यह दुःख का भी समय

यह दुःख का भी समय है क्योंकि पवित्र युखारिस्त की स्थापना के बाद शुक्रवार को प्रभु ने येसु मानव जाति के कल्याण के लिए कलवारी पर अपनी बलि चढ़ दी. पवित्र युखारिस्त ख्रीस्त के क्रूस का बलिदान है.

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