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दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है: संजय सर्राफ
रांची : रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि राणी सती दादी जी का मंगसीर बदी नवमी 24 नवंबर को मनाया जाएगा. दादी जी की सभी मंदिरों में मंगसीर नवमी का महोत्सव चार दिनों तक बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है. राणी सती दादी जी जिन्हें नारायणी देवी के नाम से भी जाना जाता है, संस्कृति और धर्म में साहस, त्याग और निष्ठा का प्रतीक मानी जाती हैं.उनकी कथा प्रेरणादायक और मार्मिक है, जो उनकी अमर गाथा को सजीव करती है. मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके बलिदान और उनकी दिव्य शक्ति को स्मरण करने के लिए विशेष महत्व रखता है. यह कथा महाभारत काल से जुड़ी है. ऐसा माना जाता है कि नारायणी देवी का पूर्वजन्म वीर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के रूप में हुआ था.
महाभारत के युद्ध में जब अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए, तब उत्तरा ने उनके साथ सती होने की इच्छा व्यक्त की. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सती होने से रोका और कहा कि भविष्य में उन्हें यह पुण्य कर्म करने का अवसर मिलेगा. उत्तरा ने पुनर्जन्म लिया और नारायणी के रूप में जन्म लिया. उनका विवाह झुंझुनू (राजस्थान) के निवासी ठाकुर तांवर जी से हुआ. नारायणी देवी और तांवर जी का दांपत्य जीवन प्रेम और निष्ठा से परिपूर्ण था. एक बार ठाकुर तांवर जी का लड़ाई उस समय के अन्य शक्तिशाली शासक के साथ हुआ. उस लड़ाई में तांवर जी वीरगति को प्राप्त हो गए. जब नारायणी देवी को यह समाचार मिला, तो उन्होंने अपने पति के साथ सती होने का निश्चय किया. उनकी सती होने की इच्छा कोई सामान्य घटना नहीं थी.
यह प्रेम, निष्ठा और धर्म के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक था. जब नारायणी सती होने जा रही थीं, तो उन्होंने भगवान से यह वरदान मांगा कि भविष्य में वे सभी श्रद्धालु भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगी. उन्होंने अपने पति के पार्थिव शरीर के साथ चिता में प्रवेश किया और सती हो गईं. नारायणी देवी के सती होने के बाद उन्हें राणी सती दादी जी के रूप में पूजा जाने लगा. मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके बलिदान और त्याग को समर्पित है. इस दिन झुंझुनू स्थित राणी सती मंदिर सहित पूरे देश के दादी के मंदिरों में विशाल महोत्सव का आयोजन होता है. जिसमें राजस्थानी महिलाएं, पुरुष द्वारा मंदिरों में राणी सती दादी जी की विशेष पूजा की जाती है. मंदिरों मे झांकियां और श्रृंगार दादी जी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार कर भव्य झांकी सजाई जाती है. दिन- भर भजन-कीर्तन, मंगल पाठ और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं. भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. राणी सती दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है. उनके भक्त जीवन के कठिन समय में उनका आह्वान करते हैं. ऐसा विश्वास है कि उनकी पूजा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. राणी सती दादी जी की कथा हमें यह सिखाती है कि प्रेम और निष्ठा जीवन के मूलभूत मूल्य हैं. मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके त्याग और शक्ति को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है. यह दिन सभी भक्तों के लिए दादी जी से आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है.